एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा : अति लघु प्रश्न


एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा : बचेंद्री पाल


प्रश्न 1. किस जानकारी ने लेखिका को भयभीत कर दिया?

उत्तर : लेखिका को यह जानकारी मिली कि हिमपात के खतरे आना कोई अनहोनी बात नहीं है। ये संपूर्ण यात्रा में इसी तरह बने रहेंगे। हिमपात और हिमखंड का गिरना लगातार होता रहेगा। सभी पर्वतरोहियों और कुलियों को हिमपात की कठिनाइयाँ सहनी पड़ेंगी।

प्रश्न 2. अंगदोरजी के पाँव ठंडे क्यों पड़ जाते थे?

उत्तर : अंगदोरजी कुशल पर्वतारोही था। वह बिना ऑक्सीजन के बर्फ पर चलने का अभ्यस्त था। इसलिए वह यात्रा में ऑक्सीजन नहीं लगाता था। परंतु बिना ऑक्सीजन के उसके पैर ठंडे पड़ जाते थे।

प्रश्न 3. लेखिका ने शिखर-विजय के अवसर पर किन्हें स्मरण किया?

उत्तर : हिमालय के शिखर पर पहुँचकर लेखिका ने पहले माँ दुर्गा और हनुमान को याद किया। उनकी पूजा-अर्चना की।

बाद में अपने माता-पिता को याद किया।

प्रश्न 4. प्लूम अर्थात भारी बर्फ का बड़ा फूल कैसे बनता है?

उत्तर :  प्लूम अर्थात् भारी बर्फ का बड़ा फूल जो एवरेस्ट के शिखर की ऊपरी सतह के आस-पास 150 किलोमीटर या इससे भी अधिक तेज गति से हवा के चलने से बनता है। हवाओं के कारण सूखी बर्फ़ पर्वत पर उड़ती रहती है। यह एक प्रकार की ध्वजा या प्लूम का रूप धरण कर लेती है।

प्रश्न 5. हिमपिंड लेखिका के कैंप पर कैसे गिरा?

उत्तर : ल्होत्से ग्लेसियर से टूटकर एक लंबा हिमपिंड लेखिका के कैंप के ऊपर आकर ऐसे गिरा जैसे एक्सप्रेस रेलगाड़ी तेज गति से भीषण गर्जना करते हुए आती है। इसके गिरने से उनका कैंप तहस-नहस हो गया।

प्रश्न 6. तेनजिंग से मिलने पर लेखिका ने अपना परिचय कैसे दिया और तेनजिंग ने उसकी तारीफ़ में क्या कहा?

उत्तर : तेनजिंग से मिलने पर लेखिका ने अपना परिचय देते हुए कहा मैं बिलकुल नौसिखिया हूँ और एवरेस्ट मेरा पहला अभियान है। तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में कहा-“तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”

प्रश्न 7. ग्लेशियर के बहने से क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर : ग्लेशियर के बहने से अकसर बर्फ़ में हलचल हो जाती है, जिससे बड़ी-बड़ी बर्फ़ की चट्टानें गिर जाती हैं और स्थिति खतरनाक हो जाती है।


लघु प्रश्न


प्रश्न 1. पर्वतारोहियों को हिमपात के कारण क्या-क्या परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं?

उत्तर : पर्वतारोहियों को हिमपात के कारण पग-पग पर परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। हिमपात के कारण भूस्खलन हो सकता है। चट्टानें खिसककर नीचे गिर सकती हैं। यात्री बर्फ़ के नीचे दबकर मर सकते हैं। वातावरण में बर्फ की आँधी चलने लगती है। उसके कारण कुछ भी दिखना बंद हो जाता है। हिमपात के रास्ते में लगाए गए निशान, झंडियाँ तथा रास्ते तक नष्ट हो जाते हैं। कभी-कभी यात्रियों के तंबू तक नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 2. बेस कैंप से लेखिका ने किसे निहारा?

उत्तर : एवरेस्ट शिखर को लेखिका ने पहले दो बार देखा था, लेकिन दूरी से। बेस कैंप पहुँचने के दूसरे दिन उसने एवरेस्ट पर्वत तथा इसकी अन्य श्रेणियों को देखा। वह भौचक्की होकर खड़ी रह गई और एवरेस्ट, ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी, बर्फीली, टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।

प्रश्न 3. ल्हाटू कौन था? उसकी भूमिका क्या थी?

उत्तर : ल्हादू पर्वतारोही दल का महत्वपूर्ण सहायक था वह नाइलॉन की रस्सी लेकर साथ-साथ चला। उसी ने रस्सी के सहारे चलने का प्रबंध किया इसलिए लंबे समय तक बर्फ़ में रहने के कारण उसके पाँव ठंडे पड़ जाते थे। फिर भी वह ऑक्सीजन लगाकर यात्रा नहीं करता था। वह दिन-ही-दिन में यात्रा करके वापस आना ठीक समझता था। वह कर्मठ और विश्वस्त पर्वतारोही था।

प्रश्न 4. बचेंद्री पाल पर मृत्यु-संकट कैसे आ पड़ा? उसकी रक्षा किसने की और कैसे की?

उत्तर : बचेंद्री पाल कैंप-तीन में गहरी नींद में सोई हुई थी। अचानक रात को 12.30 बजे ल्होत्से पर्वत से एक बड़ा हिमखंड नीचे आ गिरा। वह इतनी तेजी से और भीषण गर्जना करते हुए गिरा जैसे एक्सप्रेस गाड़ी बड़ी तेजी से टकरा गई हो। बचेंद्री ने अनुभव किया कि कोई ठंडी चीज उसके ऊपर से कुचलती हुई निकली जा रही है। फिर अचानक वह हिमखंड सारे कैंप को नष्ट करता हुआ वहीं जम गया। बचेंद्री के साथी लोपसांग ने स्विस छुरी की सहायता से बर्फ़ को काटकर लेखिका को सुरक्षित बाहर निकाला।

प्रश्न 5. लेखिका ने अंगदोरजी के साथ पर्वत शिखर छूने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर : लेखिका जानती थी कि अंगदोरजी के साथ एक ही दिन में पर्वत-शिखर पर जाने-आने में बहुत कठोर परिश्रम करना होगा, परंतु फिर भी वह उसकी क्षमता पर विश्वास करती थी। उसे अंगदोरजी की कर्मठता और आरोहण-शक्ति पर भरोसा था। इसी भरोसे उसने उसके संग पर्वत शिखर छूने का निश्चय किया।

प्रश्न 6. खतरों को सामने देखकर भी लेखिका एवरेस्ट पर क्यों जाना चाहती थी?

उत्तर : लेखिका की आँखों के सामने जानलेवा खतरे थे। उसे बर्फ़ का बहुत बड़ा बवंडर सामने दिखाई दे रहा था। फिर भी लेखिका पर्वत-शिखर पर पहुँचना चाहती थी। उसके मन में कठिनतम चुनौतियों का सामना करने का साहस था। वह पर्वतशिखर की दुर्गम चोटी को देखने के लिए उत्सुक थी।