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आपकी असली पहचान आपके कर्मों से होती है।


तोहफा छोटा ही क्यों न हो, अगर प्रेम से दिया गया है, तो वही सबसे मूल्यवान तोहफा है।

किसी के द्वारा कहे गए शब्दों का असर बेहद लंबे समय तक बना रहता है।

• हमें अपना ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि चुप रहने में ही समझदारी है।

ईर्ष्या या जलन खाली दिमाग की साथी कहलाती है।

• यदि बात न की जाए तो हर महान कर्म की भी मौत हो जाती है।

कोई भी काम ऐसा करना चाहिए कि उसका मत्था दूर से ही चमके ।

मनुष्य की परीक्षा और असल पहचान भी केवल उसके कर्मों से होती है।

आपके भाग्य पर लोग दया करें, इससे कहीं बेहतर यह होगा कि वो सभी लोग आपके भाग्य से ईर्ष्या करें।

• जब व्यक्ति सफल होता है, तो हर इंसान उसे बुद्धिमान ही समझता है।

युद्ध केवल उन्हीं के लिए सहज है जिन्हें इसका तजुर्बा नहीं हुआ है।

खुद को जानिए कि आप क्या हैं… और फिर वैसे ही बने रहिए।

जिस तरह छोटी चीजों के बीच मैं छोटा हूं, वैसे ही बड़ी चीजों के बीच मैं बड़ा हूं।

कई बार चुप्पी साधने में ही असल खुशी मिलती है।

पिंडर