लगातार सीखते रहना स्त्री का सर्वोत्तम गुण है। इनके लिए किसी से खुद की तुलना करना, अपनी कुदरती लियाकत, तहज़ीब, सलीका छोड़ना या उसे बदलना बिल्कुल जरूरी नहीं है।
इस धरा पर उसी का हक सबसे ज्यादा है, जो इसे आबाद रख सकता है।
किसी की अनुमति क्यों चाहिए दुनिया पर, अपने ही जीवन पर, अपनी खुशियों पर अपना हक सिद्ध करने के लिए? वो तो स्वयंसिद्ध है।
अपनी खूबियों पर भरोसा रखो। सीखती चलो, बढ़ती चलो, मुस्कुराती रहो।
तुम जैसा कोई नहीं।