अपने आप को स्वीकार करो।


अंधेरा, प्रकाश की अनुपस्थिति है। अहंकार, जागरूकता की अनुपस्थिति है।

• किसी के साथ किसी भी प्रतियोगिता की कोई जरूरत नहीं है। तुम जैसे हो, अच्छे हो। अपने आप को स्वीकार करो।

• तुम्हें अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरूरत पड़ेगी। वरना प्रेम पर्याप्त है, करुणा पर्याप्त है।

• जो ‘जानता’ है वो जानता है कि बताने की कोई जरूरत नहीं। जानना ही काफी है।

तनाव का अर्थ है कि आप कुछ और होना चाहते हैं, जो कि आप हैं नहीं।

एक व्यक्ति जो सौ प्रतिशत समझदार है, दरअसल वो मर चुका है।

• विश्वास और धारणा के बीच अंतर है। विश्वास निजी है, धारणा सामाजिक।

साहस, अज्ञात के साथ एक प्रेम संबंध है।

जहां पर डर खत्म होता है, वहां से जीवन शुरू होता है।

• इससे पहले तुम चीजों की इच्छा करो, थोड़ा सोच लो। हर संभावना है कि इच्छा पूरी हो जाए और फिर तुम कष्ट भुगतो।

जिसके पास जितना कम ज्ञान होगा, वो अपने ज्ञान के प्रति उतना हठी होगा।

• दुनिया अपूर्ण है और यही कारण है कि ये बढ़ रही है। अपूर्णता का ही विकास संभव है।

ओशो