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अपने आप को पहचानो ।

एक गर्भवती शेरनी ने भेड़ के एक झुंड पर हमला किया और उसे उस दौरान प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।

उसने एक शावक को जन्म दिया, लेकिन शावक को जन्म देते ही उसकी मृत्यु हो गई।

शेरनी का बच्चा वहीं भेड़ के बच्चों के बीच रहते हुए बड़ा होने लगा। वह भेड़ के बच्चों जैसी आदतें अपनाने लगा।

एक दिन वहाँ एक व्यस्क शेर आया और उसने शेर के बच्चे को भेड़ों की तरह डर के मारे भागते पाया।

शेर बहुत प्रयास से, उस शेर के बच्चे, जोकि स्वयं को भेड़ का बच्चा समझता था, को समझा पाया कि वह वास्तव में भेड़ नहीं, बल्कि शेर है।

कुछ निर्देशित अभ्यास के बाद, उस शेर के शावक ने अपनी शेर वाली पहचान का एहसास किया और शेर की तरह दहाड़ना शुरू कर दिया।

उसी तरह हम सभी सर्वशक्तिमान की छवि में बने हैं, लेकिन हम अज्ञानता और विश्वास की कमी के कारण यह मान नहीं पाते हैं।

जीवन का वास्तविक उद्देश्य हमारी उस दिव्यता को मुखर करना है, जो हमें उस सर्वशक्तिमान के साथ जोड़े।

सबका लक्ष्य अपने स्वभाव को, जोकि बाह्य और आंतरिक होता है, को नियंत्रित करके, इस दिव्यता को प्रकट करना है।

अपने स्वभाव को मानसिक नियंत्रण से या दर्शनशास्त्र द्वारा- इनमें से किसी तरीके का प्रयोग करके बदल सकते हैं ।