अपठित गद्यांश


निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-


मनुष्य सुख और शांति के लिए जन्म से ही प्रयास करता आया है। शिक्षा द्वारा उसे पूर्ण मानसिक शक्ति प्राप्त हुई। शिष्ट व्यक्ति सभ्य और सुसंस्कृत समाज के निर्माता होते हैं और व्यक्तियों को शिष्ट बनाने के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण साधन है। व्यक्ति की सच्ची स्वतंत्रता निरक्षरता में नहीं, साक्षरता में है, इसलिए हमारे देश के नेताओं ने देश की स्वतंत्रता से भी बहुत पहले राष्ट्रीय विकास के माध्यम के रूप में शिक्षा महत्व को महसूस कर लिया था। वे यह जान चुके थे कि नैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए शिक्षा आवश्यक है। तभी गाँधी जी ने बुनियादी शिक्षा की बात उठाई थी। साक्षरता प्रतीक है- स्वतंत्रता एवं विकास की। शिक्षा ही गुलामी की जंजीरों तथा शोषण से हमारी रक्षा करती है। जब कोई व्यक्ति सूदखोर व ज़मींदार की चालाकियों को समझने लगता है, जब कोई खाली व कोरे कागज़ पर अँगूठा लगाने से इनकार कर देता है- तब होता है एक विस्फोट; जिसकी गूँज व लौ दूर-दूर तक महसूस की जा सकती है फिर जन्म होता है- एक नए मानव का साक्षर मानव का, एक स्वतंत्र एवं आत्म-निर्भर मानव का। इसके साथ ही समाज लेता है-एक नई अँगड़ाई, एक नई दिशा, एक नया मोड़।

प्रजातंत्र की सफलता, पूर्णतया देश के नागरिकों पर निर्भर है और ऐसा तभी संभव है, जब व्यक्ति उचित व अनुचित में भेद करना सीख जाए। ऐसा मात्र शिक्षा द्वारा ही संभव है, अतः शिक्षा ही प्रजातंत्र में प्राण फूँकती है, इसको सार्थक बनाती है तथा सही अर्थों में शिक्षा ही प्रजातंत्र की आत्मा है। शिक्षा के द्वारा ही शारीरिक, मानसिक व सांस्कृतिक विकास संभव है। इसी के द्वारा मन व मस्तिष्क की शक्तियों को एकजुट किया जा सकता है।


प्रश्न 1. मनुष्य ने जन्म से किस चीज़ को पाने का प्रयास किया और शिक्षा से उसे क्या प्राप्त हुआ?

प्रश्न 2. हमारे देश के नेताओं ने शिक्षा के महत्व का अनुभव क्यों और कैसे किया?

प्रश्न 3. लेखक ने विस्फोट की संज्ञा किसे दी है? स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 4. लेखक के अनुसार विस्फोट के बाद क्या होता है?

प्रश्न 5. प्रजातंत्र की आत्मा क्या है?