अपठित गद्यांश


निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए-


मनुष्य के लिए भोजन एक सबसे महत्त्वपूर्ण विषय है। भोजन के लिए लोग न जाने क्या-क्या करते हैं और न जाने कहाँ से कहाँ तक चले जाते हैं। फिर भी हमारी दुनिया की एक बड़ी सच्चाई है कि रोज़ लगभग 70 करोड़ लोग भूखे रह जाते हैं, जिनमें से करीब 25 करोड़ लोग भुखमरी जैसी स्थिति में रहने को मजबूर हैं। दुनिया में बहुत प्रयासों के बावजूद खाद्य असुरक्षा की समस्या बढ़ती चली जा रही है। जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक बारिश या कम बारिश के कारण भी सामान्य खाद्यान्न उत्पादन पर गहरा असर पड़ रहा है। दुनिया में एक बड़े इलाके में स्थाई रूप से खेती प्रभावित होने लगी है। लोग खेती छोड़कर दूसरे व्यवसायों में लगने को मजबूर हो रहे हैं और खेती करने वालों की संख्या घट रही है। कृषि उत्पादों की कीमत बढ़ रही है और लगे हाथ मंदी का दौर भी चल ही रहा है। तो कुल मिलाकर दुनिया में यह एक बड़ी चिंता है कि आने वाले समय में वंचितों या भूखे लोगों का पेट कैसे भरा जाएगा? ऐसे में, ‘ब्ल्यू फूड’ की चर्चा दिनोंदिन तेज़ होती जा रही है। ‘ब्ल्यू फूड’ मतलब जलीय खाद्य पदार्थ। इसमें कोई शक नहीं कि हमें पानी से मिलने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में पूरी जानकारी है, लेकिन हमने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि जलीय खाद्य पदार्थों की क्षेत्र में कितनी संभावना है।

खाद्य आपूर्ति की हमारी योजनाओं में थल भाग या खेतों, वनों में पैदा होने वाले की ही बहुलता होती है। ये ‘ब्ल्यू फूड’ कई खाद्य प्रणालियों का महत्त्वपूर्ण घटक है फिर भी खाद्य नीति बनाते समय इन पर बहुत कम ध्यान दिया गया है। हमें अपनी खाद्य नीति में जलीय खाद्य पदार्थों को भी शामिल करके खाद्य सुरक्षा का विस्तार करना चाहिए। भारत में ओडिशा या दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में दोपहर के भोजन में ‘ब्ल्यू फूड’ के ही एक प्रकार मछली का उपयोग शुरू हो रहा है, लेकिन इस कार्य को बड़े पैमाने पर उन तमाम क्षेत्रों में तो किया ही जा सकता है, जहाँ जलीय खाद्य पदार्थों की प्रचुर उपलब्धता है। जलीय खाद्य पदार्थ, मीठे पानी और समुद्री परिवेश से प्राप्त पशु, पौधे और शैवाल दुनिया में 3.2 अरब से भी अधिक लोगों को प्रोटीन की आपूर्ति करते हैं। दुनिया के कई तटीय, ग्रामीण समुदायों में यह पोषण का मुख्य आधार है। यह बात भी छिपी नहीं है कि जलक्षेत्र 80 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का आधार है।

लेकिन इतना विशाल क्षेत्र होने के बावजूद दुनिया में लोग भूखे सोने को मजबूर हैं। पोषण का बड़ा अभाव है। हमें ज़मीन आधारित खाद्य प्रणालियों की सीमा और उसके खतरों को भी समझना चाहिए। गौर कीजिए, ये खाद्य प्रणालियाँ संपूर्ण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में एक चौथाई के लिए ज़िम्मेदार हैं, अतः जलीय खाद्य को बढ़ावा देने के बारे में हमें गंभीरता से सोचना चाहिए। यह पौष्टिक और टिकाऊ आधार है। जिन देशों में जलीय खाद्य की संभावना ज़्यादा है, उन देशों को अपने यहाँ भोजन स्रोत में परिवर्तन पहले करना चाहिए। इस दिशा में प्रयास तेज़ होने चाहिए। एक सभ्य दुनिया में भोजन से जुड़े नैतिक दबावों के बजाए ज़्यादा ज़रूरी यह है कि किसी भी इंसान को भूखा न सोना पड़े।


प्रश्न. प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक क्या हो सकता है?

(क) बढ़ती खाद्य समस्या

(ख) खाद्य असुरक्षा की समस्या

(ग) जलीय खाद्य की ज़रूरत

(घ) भुखमरी की समस्या

प्रश्न. उपरोक्त गद्यांश के आधार पर बताइए कि खाद्यान्न उत्पादन कम क्यों हो रहा है?

प्रश्न. जलीय खाद्य पदार्थ से क्या अभिप्राय है?

प्रश्न. हमारी खाद्य आपूर्ति की योजनाओं में किन उत्पादों पर विचार नहीं किया जाता है?

प्रश्न. पूर्वी या दक्षिण भारतीय राज्यों में ‘ब्ल्यू फूड’ के रूप में कौन-सा फूड खाया जाता है?

प्रश्न. दिनोंदिन बढ़ती खाद्य समस्या से कैसे निपटा जा सकता है?

प्रश्न. ज़मीन आधारित खाद्य प्रणालियाँ किस प्रकार भूमि से संबंधित समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार हैं?

प्रश्न. अपने भोजन स्त्रोत में किन देशों को पहले परिवर्तन करना चाहिए?

प्रश्न. आजीविका का क्या अर्थ है?