अपठित गद्यांश
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
वह ईंट, जिसने अपने को सात हाथ जमीन के अंदर इसलिए गाड़ दिया कि इमारत ज़मीन के सौ हाथ ऊपर तक जा सके। वह ईंट, जिसने अपने लिए अंधकूप इसलिए कबूल किया कि ऊपर के उसके साथियों को स्वच्छ हवा मिलती रहे, सुनहली रोशनी मिलती रहे। वह ईंट, जिसने अपना अस्तित्व इसलिए विलीन कर दिया कि संसार एक सुंदर सृष्टि देखें। सुंदर सृष्टि हमेशा ही बलिदान खोजती है, बलिदान ईंट का हो या व्यक्ति का, सुंदर इमारत बने, इसलिए कुछ पक्की-पक्की लाल ईंटों को चुपचाप नींव में जाना है। सुंदर समाज बने, इसलिए कुछ तपे – तपाए लोगों को मौन-मूक शहादत का लाल सेहरा पहनना है। जिस शहादत को शोहरत मिली, जिस बलिदान को प्रसिद्धि प्राप्त हुई, वह इमारत का कंगूरा है— मंदिर का कलश है। हाँ, शहादत और मौन-मूक। समाज की आधारशिला यही होती है।
(क) ईंट ने अपने लिए अंधकूप कबूल किया क्योंकि –
(i) उसे अपना स्वरूप पसंद नहीं है
(ii) वह स्वयं को मजबूत समझती है
(iii) अन्य ईंटों को हवा और रोशनी मिलती रहे
(iv) उसको मिट्टी से लगाव है
(ख) सुंदर सृष्टि के निर्माण के लिए क्या आवश्यक है?
(i) सुंदर मानव
(ii) तकनीक का विकास
(iii) प्राकृतिक सौंदर्य
(iv) बलिदान
(ग) सुंदर इमारत बनाने के लिए ईंट को कहाँ जाना पड़ता है?
(घ) जिस बलिदान को प्रसिद्धि मिले, उसे क्या कहा गया?
(ङ) समाज की आधारशिला किस पर टिकी है?