अपठित गद्यांश – योग का महत्व
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए-
योग का महत्व
सनातन काल से ही भारत में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए योग द्वारा शरीर, मन और मस्तिष्क को पुष्ट किए जाने का उल्लेख मिलता है। इसलिए लोग निरोग और दीर्घजीवी होते थे।
भारतीय संस्कृति और दर्शन किसी देश या जाति के लिए नहीं, अपितु समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है। अत: भारतीय संस्कृति को सच्चे अर्थ में मानवता की संस्कृति कहा जा सकता है। योग हमें वैज्ञानिकता के साथ समग्र जीवन-शैली के प्रति जागरूक करता है, जिससे जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। साथ ही, इससे न केवल शांतिप्रिय जीवन पद्धति को बढ़ावा मिलता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ मानवतापूर्ण संबंध स्थापित करने का संदेश भी प्राप्त होता है। भारत ने योग को हमेशा से सीमा, संस्कृति और भाषा से ऊपर रखा है। इसे यदि सही तरीके से समझा जाए और नियमित अभ्यास किया जाए, तो कई समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘युज्’ शब्द से हुई है, जिसका तात्पर्य जोड़ना एवं एकीकरण करने से है। आध्यात्मिक स्तर पर जुड़ने का अर्थ है, आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलना और व्यावहारिक स्तर पर योग को शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने तथा सामंजस्य बनाए रखने का एक साधन माना जाता है।
कोरोना काल में न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर सभी ने योग की महत्ता को देखा और जाना कि योग तनाव घटाता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह प्राचीन विद्या है और जीवन को निरोगी रखने की एक दिव्य विद्या है। कोरोना काल में हम सभी ने अनुभव किया है कि योग हमें भयमुक्त भाव में जीना सिखाता है। योग स्वस्थ्य और सुखी रहने के लिए अद्भुत प्रभावी विधि है, इसलिए घर-घर, हर घट, हर घाट पर योग होना चाहिए। योग सदाबहार है, रामबाण है, योग संजीवनी है। योग से तन स्वस्थ और मन विकार मुक्त होता है। हम योग को एक टोल फ्री नम्बर की तरह उपयोग कर सकते हैं। जिस प्रकार टोल फ्री नम्बर को कोई भी, कहीं से, कभी भी डायल कर सकता है, उसी प्रकार योग भी है। जब तन-मन के लिए सच्चे मन से जागें, तभी योग साकार हो जाता है। योग के माध्यम से हम जितने गहरे उतरेंगे, उतने शांत होंगे और पाएँगे कि अशांत करने वाले सारे तत्वों की धीरे-धीरे पहचान हो रही है और घने अंधेरे की जगह प्रकाश ले रहा है तथा जीवन निरंतर आनंदमय हो रहा है। समस्या शारीरिक हो या फिर पर्यावरण की, इनका समाधान है योग। आज बढ़ते प्रदूषण का समाधान केवल प्रकृतिमय जीवन पद्धति और सतत् तथा सुरक्षित विकास में निहित है। यह संदेश योग के माध्यम से जीवन में आता है। अतः योग को आत्मसात् कर हम स्वस्थ प्रकृतिमय जीवन जी सकते हैं।
प्रश्न 1. भारतीय संस्कृति को मानवता की संस्कृति कहे जाने का क्या आधार है?
प्रश्न 2. आध्यात्मिक स्तर पर योग किसका साधन है?
प्रश्न 3. कोरोना काल में लोगों को किसके महत्त्व का ज्ञान हुआ?
प्रश्न 4. योग को संजीवनी क्यों कहा गया है?
प्रश्न 5. टोल फ्री नंबर से क्या अभिप्राय है?
प्रश्न 6. योग और टोल फ्री नंबर में क्या समानता नहीं है?
प्रश्न 7. गद्यांश के आधार पर प्राचीनकाल में लोगों के निरोग और दीर्घजीवी होने का क्या कारण था ?
प्रश्न 8. योग शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ क्या प्रेरणा देता है?