अपठित गद्यांश : बाजार दर्शन
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए-
उनका आशय था कि यह पत्नी की महिमा है। उस महिमा का मैं कायल हूँ। आदिकाल से इस विषय में पति से पत्नी की ही प्रमुखता प्रमाणित है और यह व्यक्तित्व का प्रश्न नहीं, स्त्रीत्व का प्रश्न है। स्त्री माया न जोड़े, तो क्या मैं जोडूं? फिर भी सच-सच ही है और वह यह है कि इस बात में पत्नी की ओट ली जाती है। मूल में एक और तत्त्व की महिमा सविशेष है। वह तत्त्व है मनीबैग, अर्थात् पैसे की गर्मी या एनर्जी।
पैसा पॉवर है। पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो तो क्या वह खाक पॉवर है! पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब देखिए, पर माल – असबाब, मकान – कोठी तो अनदेखे भी दिखते हैं। पैसे की उस ‘पर्चेजिंग पॉवर’ के प्रयोग में ही पावर का रस है।
लेकिन नहीं। लोग संयमी भी होते हैं। वे फिजूल सामान को फ़िज़ूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धि और संयमपूर्वक वह पैसे को जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पॉवर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की परीक्षा की उन्हें दरकार नहीं है। बस खुद पैसे से जुड़ा होने पर उनका मन गर्व से भरा एवं फूला रहता है।
प्रश्न. लेखक किसकी महिमा का कायल है?
प्रश्न. स्त्री की आड़ में किस सच को छिपाया जा रहा है?
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए गद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए।
(क) संयमी व्यक्ति फिजूल खर्च नहीं करते हैं।
(ख) संयमी व्यक्ति पैसे को नहीं जोड़ते हैं।
(ग) संयमी व्यक्ति गर्व से फूले रहते हैं।
(घ) संयमी व्यक्ति कुछ नहीं करते हैं।
प्रश्न. बाज़ारवाद का प्रमुख कारण क्या है?
(क) मनीबैग
(ख) खरीददारी का शौक
(ग) बाज़ार में नए उपकरणों का आना
(घ) विज्ञापन