CBSEComprehension PassageEducationअपठित गद्यांश (Comprehension in Hindi)

अपठित गद्यांश : बाजार दर्शन


निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर चुनकर लिखिए-


मैंने मन में कहा, ठीक। बाज़ार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखो। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्हारे लिए हूँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी देखने में क्या हर्ज़ है। अजी आओ भी इस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है, आग्रह तिरस्कार जगाता है। लेकिन ऊँचे बाज़ार का आमंत्रण मूक होता है और उससे चाह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाज़ार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफ़ी नहीं है और चाहिए, और चाहिए। मेरे यहाँ कितना परिमित है और यहाँ कितना अतुलित है, ओह! कोई अपने को न जाने तो बाज़ार का यह चौक उसे कामना से विकल बना छोड़े। विकल क्यों, पागल। असंतोष, तृष्णा और ईर्ष्या से घायल करके मनुष्य को सदा के लिए यह बेकार बना डाल सकता है।


प्रश्न. गद्यांश में प्रयुक्त ‘अतुलित’ शब्द का समानार्थी शब्द क्या हो सकता है?

प्रश्न. गद्यांश का केंद्रीय भाव क्या है?

प्रश्न. बाजार का आमंत्रण कि ‘आओ मुझे लूटो’ से क्या आशय है?