CBSEClass 9 HindiEducationPunjab School Education Board(PSEB)अपठित गद्यांश (Comprehension in Hindi)

अपठित गद्यांश : दुःख का अधिकार (परचून की दुकान)


दुःख का अधिकार : यशपाल


निम्नलिखित गद्यांश और उन पर आधारित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए : 

परचून की दुकान पर बैठे लाला जी ने कहा, “अरे भाई, उनके लिए मरे-जिए का कोई मतलब न हो, पर दूसरे के धर्म-ईमान का तो खयाल करना चाहिए! जवान बेटे के मरने पर तेरह दिन का सूतक होता है और वह यहाँ सड़क पर बाज़ार में आकर खरबूजे बेचने बैठ गई है। हज़ार आदमी आते-जाते हैं। कोई क्या जानता है कि इसके घर में सूतक है। कोई इसके खरबूजे खा ले तो उसका ईमान-धर्म कैसे रहेगा? क्या अँधेर है!”

प्रश्न (क) परचून की दुकान पर बैठे लाला जी ने क्या कहा?

उत्तर : परचून की दुकान पर बैठे लाला जी ने कहा कि बुढ़िया के बेटे की मृत्यु हुई है, जिसके कारण यह सूतक में है। ऐसी अपवित्र दशा में इसे खरबूजे नहीं बेचने चाहिए। कोई अनजाने में इससे खरीदकर खरबूजे खा ले तो उसका तो ईमान-धर्म बिगड़ जाएगा।

प्रश्न (ख) लालाजी के अनुसार बुढ़िया के खरबूजे खा लेने पर क्या हो सकता है?

उत्तर : लाला जी के अनुसार सूतक के दिनों में इससे लिए खरबूजे खाने से लोगों का ईमान-धर्म बिगड़ सकता है। 

प्रश्न (ग) सूतक कितने दिन का होता है?

उत्तर : सूतक तेरह दिनों का होता है।


बहुविकल्पीय प्रश्न

(क) लाला जी किसे भला बूरा कह रहे थे?

(i) दुकान के ग्राहकों को

(ii) खरबूजे बेचने वाली स्त्री को

(iii) राह चलते लोगों को

(iv) जवान लड़के को

(ख) लाला जी के अनुसार यदि कोई बुढ़िया के खरबूजे खा ले तो क्या हो सकता है?

(i) लोग बीमार पड़ सकते हैं।

(ii) लोगों के घर अँधेरा हो सकता है।

(iii) लोगों की जान जा सकती है।

(iv) लोगों का ईमान-धर्म बिगड़ सकता है।

(ग) लाला जी के अनुसार बुढ़िया को क्या नहीं करना चाहिए?

(i) खरबूजे नहीं बेचना चाहिए

(ii) बाहर जाना नहीं चाहिए

(iii) सूतक नहीं मानना चाहिए

(iv) दिखावा नहीं करना चाहिए

(घ) लाला जी द्वारा बुढ़िया को भला-बुरा कहना दर्शाता है-

(i) बुढ़िया की गलती को

(ii) लाला जी की पिछड़ी सोच को

(iii) मानवता के लक्षण को

(iv) समाज से घटते धर्म को