अपठित गद्यांश : उस दिन जब…………. तुम चले जाओगे
तुम कब जाओगे, अतिथि: शरद जोशी
निम्नलिखित गद्यांश और इस पर आधारित प्रश्नों को ध्यान से पढ़ कर उत्तर दीजिए-
उस दिन जब तुम आए थे, मेरा हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा था। अंदर-ही-अंदर कहीं मेरी बटुआ काँप गया। उसके बावजूद एक स्नेह-भीगी मुस्कुराहट के साथ मैं तुमसे गले मिला था और मेरी पत्नी ने तुम्हें सादर नमस्ते की थी। तुम्हारे सम्मान में ओ अतिथि, हमने रात के भोजन को एकाएक उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर में बदल दिया था। तुम्हें स्मरण होगा कि दो सब्जियों और रायते के अलावा हमने मीठा भी बनाया था। इस सारे उत्साह और लगन के मूल में एक आशा थी। आशा थी कि दूसरे दिन किसी रेल से एक शानदार मेहमाननवाजी की छाप अपने हृदय में ले तुम चले जाओगे।
प्रश्न (क) मेहमान के आते ही लेखक पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर : मेहमान के आते ही लेखक का हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा। उसे डर लगा कि यह आदमी न जाने कब तक ठहरेगा। इसे न चाहते हुए भी झेलना पड़ेगा। उसका बटुआ भी काँप उठा। मेहमान को खुश रखने के लिए पैसा खर्च करना लेखक को असहनीय लगा।
प्रश्न (ख) रात के भोजन को किस प्रकार गरिमापूर्ण बनाया गया?
उत्तर : मेहमान का शानदार स्वागत करने के लिए रात के भोजन को ‘डिनर’ जैसा शानदार बनाया गया। दो-दो सब्ज़ियाँ बनाई गईं, रायता बनाया तथा एक मीठा भी बनाया। इस प्रकार उसका शानदार स्वागत किया गया।
प्रश्न (ग) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए। उत्तर
उत्तर : पाठ : तुम कब जाओगे, अतिथि,
लेखक : शरद जोशी।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न (क) लेखक का हृदय किस अज्ञात आशंका से धड़क उठा था?
(i) अतिथि के आगमन की आशंका
(ii) आर्थिक स्थिति बिगड़ने की आशंका
(iii) अतिथि को सम्मान न दे पाने की आशंका
(iv) अतिथि के अधिक दिन रुकने की आशंका
प्रश्न (ख) लेखक ने अतिथि का स्वागत कैसे किया?
(i) सादर नमस्ते के साथ
(ii) अतिथि के अधिक दिन रुकने की निराशा के साथ
(iii) अतिथि के चले जाने की आशा के साथ
(iv) स्नेह-भीगी मुस्कुराहट के साथ
प्रश्न (ग) रात के भोजन को किस प्रकार गरिमापूर्ण बनाया गया?
(i) अतिथि के लिए अनेक पकवान बनाकर
(ii) अतिथि को भूखा रखकर
(iii) अतिथि के लिए खिचड़ी बनाकर
(iv) अनौपचारिक मेहमाननवाजी की छाप छोड़कर
प्रश्न (घ) अतिथि के स्वागत में लेखक ने रात के भोजन को किसका रूप दिया?
(i) निम्न मध्यम वर्ग के आतिथ्य का रूप
(ii) उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर का रूप
(iii) शानदार मेहमाननवाजी का रूप
(iv) उत्साह और लगन का रूप