अनौपचारिक पत्र : मामा जी को पत्र
पर्वतीय स्थलों पर घूमने हेतु मामा जी के आमंत्रण पर न पहुँच पाने के लिए खेद प्रकट करते हुए पत्र।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली-110064
दिनांक 3 मई 20…….
पूज्य मामा जी
सादर चरण स्पर्श।
पिछले दिनों मुझे आपका पत्र मिला। पत्र में आपने मुझे शिमला आकर घूमने के लिए आमंत्रित किया था। इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहूँगा।
मामा जी, मेरी शिमला घूमने की बहुत इच्छा है। वहाँ की पर्वतों से घिरी सुंदर आकर्षक वादियों में भ्रमण का आनंद उठाना चाहता हूँ।
मेरे कई मित्र शिमला घूमकर आ चुके हैं। उनके मुँह से मैंने वहाँ की काफ़ी तारीफ़ सुनी है। अतः मैं भी एक बार वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य देखना चाहता हूँ। किंतु मुझे दुख है कि मैं अभी वहाँ नहीं आ सकता। आगामी मास में मेरी मध्यावधि परीक्षाएँ होने वाली हैं। मेरा पूरा ध्यान उन्हीं परीक्षाओं की तैयारी पर केंद्रित है। मैं अपनी परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता हूँ।
मामा जी मैं आपसे परीक्षाओं के बाद दशहरा की छुट्टियों में आने का वादा करता हूँ।
आपका भांजा
मामा जी को चरण स्पर्श, पूजा को प्यार।
क०ख०ग