अनुच्छेद-लेखन (Paragraph Writing)
अनुच्छेद लिखते समय सीमित शब्दों में एक विषय से संबद्ध विचारों अथवा भावों को प्रस्तुत किया जाता है। अनुच्छेद-लेखन की कुछ विशेषताएँ होती हैं;
जैसे – यह निबंध का सार नहीं है। यह अपने-आप में पूर्ण होता है।
निबंध से भिन्न अनुच्छेद लिखते समय भूमिका बाँधने और निष्कर्ष देने की आवश्यकता नहीं होती।
तात्पर्य यह है कि इसे लिखते समय किसी निश्चित ढाँचे में बँधने की अपेक्षा नहीं होती। दिए गए विषय को केंद्र में रखकर पूरे अनुच्छेद में उसी का विस्तार किया जाता है। अत: यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अनुच्छेद में अनावश्यक प्रसंग न हो। सभी वाक्य एक-दूसरे से जुड़े हुए और स्वाभाविक रूप से कथ्य का क्रमिक विकास करते हुए दिखाई देने चाहिए। अनुच्छेद में स्पष्टता और सजीवता लाने के लिए संगति एवं एकाग्रता आवश्यक है। सीमित आकार होने के कारण अनुच्छेद-लेखन में अनावश्यक विस्तार, अवांछित प्रसंग, बड़े उदाहरणों, लंबे उद्धरणों आदि के लिए स्थान नहीं होता।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि अनुच्छेद लिखते समय :
1. आकार सीमित हो (लगभग 80-100 शब्द)
2. एक केंद्रीय भाव या विचार का क्रमिक विस्तार हो।
3. अलंकारिकता तथा अनावश्यक शब्द प्रयोग न हो।
4. भाषा में विषयानुरूप सहजता तथा प्रवाह हो। वैसे तो अनुच्छेद-पत्र, निबंध, संवाद तथा साहित्य की विविध विधाओं के अंग भी होते हैं, जहाँ अनुच्छेदों के बीच तारतम्य तथा क्रमबद्धता अपेक्षित होती है, परंतु यहाँ हम स्वतंत्र अनुच्छेद लेखन की ही बात करेंगे। निबंध और अनुच्छेद के विषय एक से हो सकते हैं, किंतु उनकी प्रस्तुति भिन्न होती है।
अनुच्छेदों को मुख्य रूप से चार भागों में विभक्त किया जा सकता है :
1. विचार प्रधान अनुच्छेद
2. वर्णन प्रधान अनुच्छेद
3. भाव प्रधान अनुच्छेद
4. कल्पना पर आधारित अनुच्छेद