अनुच्छेद लेखन
देश पर पड़ता विदेशी प्रभाव
अत्यधिक विविधताओं से भरा होने के बावजूद हमारा देश भारत एक है और इसकी एकता का कारण है—यहाँ की समेकित संस्कृति। भारत एक सांस्कृतिक विविधता वाला देश है, जहाँ विभिन्न धर्मों, भाषाओं, वर्णों, खान-पान, वेशभूषा आदि की विविधताओं वाले लोग एक साथ रहते हैं। भारतीय संस्कृति सभी भारतीयों की आत्मा मानी जाती है। हम सभी भारतीय संस्कृति का आदर करते हैं। हमारी संस्कृति में यह माना जाता है कि हम सभी अपने-अपने धर्म का पालन करें फिर चाहे कोई-सा धर्म हो। सभी धर्मों के प्रति प्रेम व सौहार्द्र की भावना ही भारतीय संस्कृति की अद्वितीय विशेषता है। बड़ों का आदर, नारियों का सम्मान, जीवों पर दया, सादा जीवन-उच्च विचार आदि गुण हमारी संस्कृति के मूल में हैं।
विदेशी संस्कृति के प्रभाव में आकर आज भारतीय अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। जहाँ वे विदेशी संस्कृति व सभ्यता को अपनाकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं वहीं भारतीय संस्कृति को वे हीन मानने लगे हैं। विदेशी संस्कृति के प्रभाव में आकर वे अंग्रेजी भाषा बोलने में अपनी शान समझते हैं। स्वयं को सुंदर दिखाने की होड़ मची हुई है। कम कपड़े पहनकर अंग प्रदर्शन करना, जंक फूड खाना, बड़ों का आदर न करना, देर रात तक पार्टियों में घूमना, मदिरापान करना आदि विदेशी संस्कृति के दुष्प्रभाव हैं। विदेशी संस्कृति के दुष्परिणाम स्वरूप समाज पतन की ओर अग्रसर है। नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। आज का युवा अपराधों और नशे का आदी हो रहा है। जिस संस्कृति को बचाने में हमारे पूर्वजों ने इतनी मेहनत की थी उसे आज हम भूलते जा रहे हैं। अपनी संस्कृति की रक्षा हेतु हमें बच्चों को बचपन से ही संस्कारित करना होगा। उन्हें वेदों, धर्म, प्राचीन इतिहास, पूर्वजों की जीवन गाथा की जानकारी देनी होगी। परिवार में ऐसा माहौल बनाना होगा कि बच्चा स्वयं उनसे प्रेरणा ग्रहण कर संस्कारित हो सके।