अनुच्छेद लेखन : स्वस्थ जीवन के लिए व्यायाम
स्वस्थ जीवन के लिए व्यायाम
‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत’ (सेहत हज़ार नियामत) अर्थात् स्वास्थ्य ही हज़ारों नियामतों के बराबर है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है। जब शरीर स्वस्थ होता है तभी ऐसे स्वस्थ विचार उत्पन्न हो सकते हैं और उत्तम कार्य हो सकते हैं, जिनसे धन, प्रतिष्ठा आदि की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य की उपेक्षा करना बिलकुल ही ठीक नहीं है। स्वास्थ्य के कई साधन हैं लेकिन सच तो यह है कि व्यायाम ही वह साधन है जिससे स्वास्थ्य को संतुलित रखा जा सकता है। व्यायाम करने से ही मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ व स्फूर्तिवान बना सकता है। व्यायाम एक नियम है, मनमाने ढंग से नहीं करना चाहिए। दस-पंद्रह दिनों तक जरूरत से ज्यादा व्यायाम करके छोड़ देने पर लाभ के नाम पर हानि ही होती है। शुरू-शुरू में व्यायाम बहुत कम करना चाहिए। जैसे-जैसे मांसपेशियाँ अभ्यस्त होती जाएं – वैसे-वैसे इसकी मात्रा बढ़ाई जा सकती है। व्यायाम का अभ्यास किसी जानकार व्यक्ति की देख-रेख में करना अच्छा रहता है। जो व्यायाम कष्टकर प्रतीत हों, उन्हें बिना समझे-बूझे नहीं करना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में व्यायाम पर अधिक जोर देना चाहिए। इससे शारीरिक शक्ति बढ़ेगी, भूख लगेगी, रक्त साफ़ होगा एवं पाचन क्रिया सही होगी। इन सबका मस्तिष्क पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि स्मरण, चिंतन, तर्क और अध्ययन क्षमता भी बढ़ती है। अतः हमें स्मरण रखना चाहिए कि स्वास्थ्य एक अनमोल धन है।