अनुच्छेद लेखन : साक्षरता अभियान


साक्षरता अभियान


साक्षरता एक मानव अधिकार, सशक्तिकरण का मार्ग और व्यक्ति तथा समाज के विकास का माध्यम है। शिक्षा विहीन व्यक्ति सींग और पूँछ रहित पशु के समान होता है। शिक्षा ज्ञान का विकास करके हमें परिवेश, स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाती है। ‘राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना 5 मई, 1988 को तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने की थी। ‘साक्षर भारत मिशन’ का मुख्य लक्ष्य 15 वर्ष या इससे अधिक आयु वर्ग के लगभग सात करोड़ व्यस्कों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करता है। इसके साथ-साथ इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्न साक्षरता दर वाले राज्यों के विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यकों, अन्य वंचित वर्गों एवं नव किशोर वर्ग को शिक्षित करने में प्राथमिकता प्रदान करने का ध्येय है। अभियान का लक्ष्य सभी भारतीयों को साक्षर बनाना है। भारत का एकमात्र प्रदेश केरल पूर्णतः साक्षर है। शिक्षा मनुष्यों को संस्कारवान बनाने के साथ ही अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक करने, गरीबी, लिंग अनुपात सुधारने तथा भ्रष्टाचार और आतंकवाद को समाप्त करने में भी सक्षम बनाती है। साक्षरता अभियान के अन्तर्गत विद्यालयी शिक्षा में गुणात्मक सुधार के साथ-साथ प्रौढ़ निरक्षरों को साक्षर बनाने का भी लक्ष्य है। यह कार्य केवल सरकारी स्तर पर नहीं किया जा सकता अतः इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आना होगा। शिक्षित और साक्षर लोग ही मिलकर प्रजातन्त्र को सफल बनाएँगे और स्वर्णिम भारत का निर्माण करेंगे। वर्तमान प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आर्थिक स्वतन्त्रता एवं सशक्तिकरण प्रदान करने के लिए ‘प्रधानमन्त्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान’ भी शुरू किया गया है।