CBSEclass 7 Hindi (हिंदी)EducationNCERT class 10thParagraphPunjab School Education Board(PSEB)अनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

अनुच्छेद लेखन : समाज सेवा


समाज सेवा


मनुष्य विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। यह एक सामाजिक प्राणी है। जन्म से मृत्यु तक इसका हर दिन समाज के सान्निध्य में बीतता है। वह समाज के रीति-रिवाज, भाषा, वेश-भूषा, खान-पान सबको अपना लेता है। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि समाज के बिना किसी बालक का व्यक्ति के रूप में विकसित होना संभव नहीं है। वह या तो मर जाएगा या पशु-तुल्य जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य होगा। अतः समाज के प्रति हमारा कुछ कर्तव्य या ऋण बनता है, जिसे पूरा करना हमारा कर्तव्य बनता है। समाज-सेवा शब्द सुनने में मधुर लग सकता है। किसी व्यक्ति की सेवा करना आसान हो सकता है, लेकिन समाज की सेवा काँटों की सेज पर सोना है। सेवा का मार्ग अधिक कठिन होता है। सेवा करने का व्रत वही ले सकता है, जिसे मान-अपमान, हानि-लाभ, दुख और कष्ट की चिंता कतई नहीं। जो निष्काम भाव से सेवा करना चाहता है, वही समाज-सेवा कर सकता है। गीता का कर्मयोग यहाँ पूरी तरह खरा उतरता है। समाज की सेवा की अपनी एक पद्धति होती है, उसकी अपनी एक शैली होती है। युगों से चली आ रही रूढ़ियाँ हैं। अंधविश्वास हैं, सांप्रदायिकता है, दृढ़धर्मिता है, परावलंबन की भावना है, जागृति की कमी है। ऐसी परिस्थितियों में इन सबसे टक्कर लेकर समाज को सही रास्ते पर खींच लाना किसी वीर का ही कार्य हो सकता है। ऐसे महान समाजसेवी वीरों ने हमारे देश में जन्म लिया है। महर्षि दयानंद, सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गांधी, बुद्ध, महावीर, मदर टेरेसा और भी न जाने कितने ऐसे नाम हैं जिन्होंने समाज-सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। हम सभी का भी यही धर्म और फर्ज़ बनता है कि हम अपने जीवन को समाज सेवा में समर्पित कर दें।