अनुच्छेद लेखन : सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
‘सत्यमेव जयते’ मुंडकोपनिषद से लिया गया यह वाक्य भारत का राष्ट्रीय वाक्य है। इस वाक्य का अर्थ है- ‘सत्य ही जीतता है।’ सत्य की जीत और झूठ की हार की कहानियाँ सब लोग बचपन से सुनते-सुनाते आ रहे हैं, फिर भी बहुत कम लोग सत्य के पक्ष में खड़े होने का साहस दिखाते हैं। सत्य कटु होता है, अप्रिय होता है, अरुचिकर होता है और सबसे बड़ी बात सत्य होते हुए भी इसे अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है और अंत में सत्य ही जीतता है। सत्य के सामने झूठ सर पर पाँव रखकर भागता है। झूठ कभी स्थायी रूप से अपना प्रभाव बनाए नहीं रख सकता, क्योंकि उसके पाँव नहीं होते, वह हमेशा दूसरों के सहारे चलता है। सत्य हमारे चारों ओर है, जिसे हम देखते हैं और महसूस करते हैं। सत्य ही सबसे बड़ा धर्म है। महाभारत में सत्य को स्वर्ग का सोपान बताया गया है – सत्यं स्वर्गस्य सोपानम्। सत्य की अलौकिक महिमा के कारण ही पंडित मदन मोहन मालवीय ने राष्ट्रीय स्तर पर ‘सत्यमेव जयते’ मन्त्र का प्रचार किया और इसे भारत का राष्ट्रीय वाक्य घोषित किया गया।