अनुच्छेद लेखन : वृक्षारोपण
वृक्षारोपण
वृक्ष प्रकृति की अनुपम देन हैं। ये पृथ्वी और मनुष्य के लिए वरदान हैं। किसी क्षेत्र विशेष में अनेक वृक्षों का समूह वन कहलाता है। वन हमारे लिए ईश्वर की सबसे विशिष्ट भेंट हैं। ये पृथ्वी और देश की सुंदरता बढ़ाते हैं। ये देश की सुरक्षा और समृद्धि में भी सहायक होते हैं। वृक्ष लगाना उसे पूजना उसकी सुरक्षा करने की महत्ता पुराने ज़माने से ही चली आ रही है। पुराणों के अनुसार, एक वृक्ष लगाने का उतना ही पुण्य मिलता है जितना दस गुणवान पुत्रों के सुयश से। आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि हम पेड़ों के इसी महत्त्व को भूलते चले जा रहे हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। वन काटे जा रहे हैं और उनके स्थान पर मैदान बनाकर बस्तियाँ बसाई जा रही हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव यह हो रहा है कि प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा है। वनों से मिलने वाले लाभ अब समाप्त हो रहे हैं। वनों से मिलने वाली इमारती लकड़ी, लाख, रबर, गोंद आदि भी कम हो गए हैं। वनों के अभाव में अनेक लोगों की रोजी-रोटी भी समाप्त हो गई है। वन भूमि का कटाव रोकने में सहायक होते हैं तथा नदियों की गति को नियंत्रित रखते हैं। वनों की बदौलत भूमि के उपजाऊ कण सुरक्षित रहते हैं लेकिन आज इन सभी चीजों का अभाव हो गया है। अतः आज अधिक-से-अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण को सुरक्षित कर हमारे जीवन को खुशहाल बनाने की आवश्यकता है।