अनुच्छेद लेखन : विज्ञान और स्वास्थ्य
विज्ञान और स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के बिना जीवन, जीवन नहीं है और विज्ञान के बिना स्वास्थ्य असंभव है। विज्ञान स्वस्थ रहने के गुण बताता है; रोगी होने पर रोग का निदान कर स्वस्थ बनाता है। मृत्यु के मुँह में पहुँचे मानव को जीवन प्रदान करता है। हायजीन विज्ञान की वह शाखा है, जो मानव स्वास्थ्य की देखभाल करती है। स्वास्थ्य के लिए पाचन क्रिया का ठीक होना चाहिए। कारण, पाचन-क्रिया ठीक होगी तो वात, पित्त और कफ समान रूप से कार्य करेंगे। विज्ञान बताता है कि मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार लेना चाहिए। संतुलित आहार से तात्पर्य है शरीर की संवृद्धि और विकास के पोषक तत्वों का सेवन। स्वास्थ्य के लिए चाहिए सर्दी, गर्मी और वायु की साम्यावस्था। इसके लिए भवन की आवश्यकता है। स्वास्थोपयोगी-भवन की विशेषता बताता है विज्ञान। दूसरी ओर चाहिए वस्त्र। गर्मी के लिए ठंडे और सर्दियों के लिए गरम। सूती, रेशमी, ऊनी, टेरीलीन, नाइलॉन, पोलिएस्टर, चमड़ा आदि के अनेक वस्त्रों की रचना विज्ञान की वह प्रक्रिया है, जो मानव के स्वास्थ्य को तापमान से सुरक्षित रखते हैं। प्रकृति की लीला भी निराली है। अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक सर्दी को मानव सहन नहीं कर पाता। गर्मी से विह्वल होता है, तो सर्दी से ठिठुरता है। इसके लिए विज्ञान ने वातानुकूलन की व्यवस्था प्रदान की। शरीर आखिर शरीर है। बीमार होते क्या देर लगती है। सभी बीमारियों के लिए अनेक टेबलेट्स या लिक्विड इजाद किए गए हैं? ये सब विज्ञान की शाखा औषध विज्ञान की ही देन हैं। नगरों तथा महानगरों का मानव प्रदूषण से परेशान है। वाहनों से निकले धुएँ से उसका दम घुटता है। मल-मूत्र तथा कारखानों-मिलों के रासायनिक पदार्थों से युक्त नदी का जल मिलता है। कीटनाशक औषधियों से युक्त फल-सब्ज़ियाँ और अन्न खाने को मिलते हैं। पर यह सच है कि विज्ञान ने केवल मानव के ही नहीं अपितु पशु-पक्षी जगत के स्वास्थ्य को भी सुरक्षा, संवर्धना तथा सचेतना प्रदान की है।