अनुच्छेद लेखन : मेट्रो रेल-महानगरीय सुखद सपना
महानगरों की स्थिति आसपास के क्षेत्रों के लिए उस चुंबकीय स्वर्ग जैसी होती है, जहाँ रहने के लिए सभी उत्सुक रहते हैं। दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों की स्थिति तो ऐसी भयानक है कि हर वर्ष यहाँ लाखों नए निवासी आ बसते हैं। आबादी के दबाव के कारण गंदगी और कूड़े-कचरे को डालने का सही प्रबंध नहीं हो पाता। काफी समय पहले दिल्ली के भूतपूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना के नेतृत्व में मेट्रो रेल योजना पर विचार हुआ। तत्पश्चात सरकार बदली। नई सरकार ने इस योजना को तीव्र गति से बढ़ाया। जापानी कंपनी के सहयोग से कहीं जमीन के नीचे, कहीं भू-तल पर तो कहीं पुल पर मेट्रो रेलगाड़ियाँ चलाई गई। ये गाड़ियाँ पर्यावरण तथा शोर-शराबे पर नियंत्रण रखने वाली हैं। इनका वातानुकूलित और साफ-सुथरा रख-रखाव दिल्ली वासियों के लिए बहुत बड़ा वरदान है। मेट्रो से लोगों का जीवन सुविधाजनक हो गया है। नागरिकों के समय की बहुत बचत हुई है। पहले सड़कों की भीड़-भाड़ के चलते जहाँ पहुँचने में घंटो लगते थे, वहाँ अब 15-20 मिनट में सफर पूरा हो जाता है। इससे सड़कों पर दबाव कम हुआ। पेट्रोल और सी.एन.जी की बचत हुई है। मेट्रो का विस्तार अभी सीमित है। कॉमनवेल्थ खेलों के कारण आसपास के क्षेत्रों में भी मेट्रो की सुविधाएँ उपलब्ध कराने का सरकार ने प्रयास किया। वह दिन दूर नहीं जब सभी महानगरों में ये सेवाएँ आरंभ हो जाएँगी।