अनुच्छेद लेखन : प्रातः कालीन भ्रमण
प्रातः कालीन भ्रमण
‘भ्रमण’ शब्द का वाच्यार्थ है-घूमना, इधर-उधर विचरण करना। प्रातः अथवा सायंकाल सैर करना व्यायाम का एक रूप है। प्रातःकालीन भ्रमण सबसे सरल, किंतु सबसे अधिक उपयोगी व्यायाम है। गर्मियों में लगभग साढ़े चार-पाँच बजे और सूदयों में पाँच-छह बजे का समय प्रातः कालीन सैर के लिए उपयुक्त है। बिस्तर छोड़ने में थोड़ा कष्ट का अनुभव होगा। गर्मियों की प्रातः कालीन हवा और उसके कारण आ रही प्यारी-प्यारी नींद का त्याग कीजिए। सर्दियों में रजाई का मोह छोड़िए और चलिए प्रातःकालीन सैर को। प्रातःकालीन सैर पर निकलते समय का वातावरण बहुत सुंदर होता है। पक्षी अपने-अपने घोंसलों में फड़फड़ा रहे होते हैं। मंद-मंद सुगंधित पवन चल रही होती है। रात्रि के चंद्रमा और तारों की ज्योति समाप्त-प्राय होती है। भगवान भास्कर उदित होने की तैयारी कर रहे होते हैं। आकाश बड़ा स्वच्छ होता है। रजाई के मोह और प्यारी-प्यारी नींद का त्याग और वह भी प्रात:कालीन सैर के लिए बहुत ही लाभप्रद होता है। आलस्य आपसे पराजित हो जाता है। सारे दिन शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। तेज़ चलने से शरीर के प्रत्येक अंग की कसरत होती है। रक्त नलियाँ खुलती हैं। स्वास्थ्य सुंदर बनता है। चेहरे पर रौनक आती है। हरी-भरी घास पर पड़ी ओस बिंदुओं पर नंगे पाँव घूमन से आँखों की ज्योति बढ़ती है। प्रातःकालीन सैर स्वास्थ्य-निर्माण करने का सर्वोत्तम उपाय है। यह सस्ता भी है, मीठा भी। जिसके लिए न डॉक्टर को पैसे देने पड़ते हैं और न उसकी कड़वी दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। प्रातः कालीन भ्रमण से मनुष्य किसी भी कारण खोए हुए स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त कर सकता है।