CBSEClass 9 HindiEducationअनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

अनुच्छेद लेखन : प्रदूषण


मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्तम रचना है। परंतु आज वही मनुष्य ईश्वर की बनाई रचना में हस्तक्षेप कर रहा है। वह नित प्रति नए-नए आविष्कार एवं खोज कर रहा है। समुद्र की गहराइयों में, धरती की कोख में उसने अपनी पैठ बना ली है। आज पूरे विश्व में प्रदूषण की समस्या मुँह बाए खड़ी है। धरती, जल, वायु और तो और ध्वनि प्रदूषण की समस्या विकराल रूप लेती चली जा रही है। थल प्रदूषण, स्थान-स्थान पर कूड़े के ढेर, ढेरों पर भिनभिनाते मक्खी-मच्छर अनेक प्रकार की बीमारियों को न्योता देते हैं। पॉलीथीनों और प्लास्टिक के बढ़ते कहर से पृथ्वी कराह उठी है। रासायनिक खादों के प्रयोग ने धरती को बंज़र बना दिया है। मातृतुल्य समझी जाने वाली नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि अब वह केवल महामारियों और बीमारियों का कारण बन गया है। वायु जो हमारी प्राण वायु है वह भी इतनी विषैली हो चुकी है कि हमारे फेफड़े अनेक लाइलाज बीमारियों के शिकार हो गए हैं। फैक्ट्रियों से निकलते धुओं और गैसों ने खुली हवा में साँस लेना तक दूभर कर दिया है। यातायात एवं वाहनों की सड़कों पर लंबी रेल-पेल, उनसे निकलते धुएँ से अस्थमा, दमा, खाँसी जैसी बीमारियाँ फैल चुकी हैं। अभी तो आम आदमी इन्हीं से जूझ रहा था कि ध्वनि प्रदूषण की समस्या ने सिर उठा लिया है। ऊँची आवाज्ज में बोलना, टेप-रिकार्डर, लाउडस्पीकर आदि चलाना, रैलियाँ निकालना और गाड़ियों के बढ़ते शोर से बहरापन, तनाव आदि बीमारियाँ फैलने लग गई हैं। इससे पहले की प्रकृति हमारे संहार का कारण बने आवश्यकता है लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने की। उन्हें यह बताने की कि प्रदूषण के कारण अंतरिक्ष की ओजोन लेयर में छेद हो गए हैं जिससे अनेक हानिकारक किरणें, अल्ट्रावॉयलेट किरणें धरती पर पहुँच कर कैंसर जैसी अनेक बीमारियों को न्योता दे रही हैं। इससे पहले की यह धरा विकलांगों की धरा बन जाए, लोग जागरूक हों। कम वृक्ष काटे जाएँ, नए वृक्षारोपण किए जाएँ, यातायात के लिए बस, आदि सार्वजनिक साधनों का प्रयोग करें। कार पुल करें। आबादी वाले स्थानों से फैक्टरियाँ हटाई जाएँ। नदियों के पानी को स्वच्छ रखने का प्रयास किया जाए। और सबसे बड़ी बात की विश्व शांति की स्थापना की जाए। बिना कारण अणु बम, परमाणु बम न बनाए जाएँ। उनके परीक्षण न किए जाएँ। प्रकृति के बचाव के लिए, मनुष्य को ही प्रथम कदम उठाने होंगे। अन्यथा हमारा जीवन व्यर्थ हो जाएगा। हमें चाहिए कि हम सब मिलकर पर्यावरण संरक्षण करें और प्रदूषण रोकने का प्रयास करें।