अनुच्छेद लेखन : पुस्तक पढ़ने की आदत
पुस्तक पढ़ने की आदत
पुस्तकें हमारे लिए ज्ञान का साधन हैं अतः मनुष्य निरंतर पुस्तकों का अध्ययन करता है। आज समय की कमी तथा नवीन तकनीकों के आगमन के कारण पुस्तक पढ़ने की आदत घटती जा रही है। आज कंप्यूटर का बोलबाला है। मनुष्य को जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए बाजार में जाने की आवश्यकता नहीं है। इंटरनेट के माध्यम से वह घर पर अपने कम्प्यूटर या लैपटाप के माध्यम से किसी भी विषय पर जानकारी हासिल कर सकता है। परंतु कम्प्यूटर या लैपटॉप की अपेक्षा पुस्तकों के अध्ययन द्वारा समय के सदुपयोग के साथ आँखों की सुरक्षा भी की जा सकती है। पुस्तकों का निरंतर अध्ययन करना चाहिए इससे ज्ञान प्राप्त होता है। पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र हैं। पुस्तक जिज्ञासा को शांत करने का सर्वोत्तम साधन है। पुराने समय में पुस्तक हस्तलिखित होती थी क्योंकि तब प्रिंटिंग की सुविधा नहीं थी। लेखक ज्ञान को कलम के द्वारा पन्ने पर उतारते थे। उस समय पुस्तकें कम लिखी जाती थीं। ज्यादातर ज्ञान का आदान-प्रदान बोलकर और कंठस्थ करके होता था। आजकल तो लगभग हर विषय पर कई लेखकों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। आज इंटरनेट का जमाना है। किसी भी ज्ञान को गूगल से प्राप्त किया जा सकता है। किसी भी विषय के बारे में जानने के लिए इंटरनेट पर सर्च करना आम बात हो गई है। इंटरनेट ज्ञान अर्जित करने का आसान साधन बन गया है और इसके उपयोग से पुस्तकों का इस्तेमाल कम हुआ है। फिर भी पुस्तक का अपना महत्त्व बना हुआ है। स्कूल में आज भी पढ़ाई पुस्तकों से होती है। सभी परीक्षाओं का आधार पाठ्यक्रम पुस्तकें हैं।