अनुच्छेद लेखन : नवरात्र
नवरात्र
सचमुच देखा जाए तो दुर्गा देवी विश्व की सबसे पहली आदिशक्ति मानी जाती हैं। देवी भागवत पुराण में भगवती दुर्गा के यश और पराक्रम का विस्तार से वर्णन है, जिसे पढ़कर मनुष्य श्रद्धा से नतमस्तक हो जाता है। भागवत पुराण पढ़ने से नास्तिक से नास्तिक व्यक्ति भी देवी का परम भक्त और आस्तिक बन जाता है। वर्ष में दो बार नवरात्र आते हैं। एक तो चैत्र शुक्ल पक्ष में और दूसरे आश्विन शुक्ल पक्ष में। इन दोनों नवरात्रों के प्रथम दिन प्रतिपदा को भक्त लोग दुर्गा भगवती के मंदिरों में अथवा अपने-अपने घरों में दुर्गा देवी का कलश स्थापित करते हैं; जौ बोए जाते हैं और दुर्गा भगवती का आह्वान एवं विस्तार से पूजन-ध्यान किया जाता है। दुर्गा सप्तशती नामक संस्कृत पुस्तक का प्रतिदिन पूरा पाठ किया जाता है। इस धर्मग्रंथ के पठन-पाठन से धार्मिक भावना जागृत होती है। कई भक्त लोग तथा माताएँ बहनें इन पूरे नौ दिनों में माँ दुर्गा का व्रत रखती हैं तथा केवल एक बार फलाहार करती हैं। दुर्गा अष्टमी का त्योहार बंगालियों के लिए बहुत बड़ा पर्व समझा जाता है। वे नवरात्रों से पूर्व ही दुर्गा के नौ नामों के आधार पर मृत्तिका की बड़ी सुंदर नौ मूर्तियाँ बनवाते हैं, जो देखते ही बनती हैं। भक्त लोग उन मूर्तियों का नौ दिन पूजन करते हैं। दशमी के दिन इन मूर्तियों का जुलूस निकाला जाता है। इस जुलूस में वे लोग देवी का गुणगान एवं भजन-कीर्तन करते हैं और अंत में बड़ी श्रद्धापूर्वक उन मूर्तियों का नदी में विसर्जन कर देते हैं।