अनुच्छेद लेखन : दूरदर्शन
दूरदर्शन
विज्ञान आज निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। नित्यप्रति कोई न कोई अजूबा हमारे सामने आता है। टेलीविज़न यानी दूरदर्शन के आविष्कार ने भी हमें चकित कर दिया है। इसका आविष्कार ब्रिटेन के वैज्ञानिक जॉन एल० बेयर्ड ने किया था। जिन वस्तुओं, स्थानों और व्यक्तियों का वर्णन हमें किताबों और अख़बारों में मिलता था, वह सभी कुछ टेलीविज़न के पर्दे पर सुलभ हो गया। प्रत्येक वस्तु में अच्छाई और बुराई दोनों समायी हुई होती हैं। इसी प्रकार टेलीविज़न से भी लाभ और हानि दोनों ही हैं। उपयोगिता की दृष्टि से देखा जाए तो दूरदर्शन मनोरंजन और शिक्षा का उत्कृष्ट साधन है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए तो यह एक वरदान के समान है। यह व्यक्ति के एकांत का साथी तथा दुख में एक अच्छा मित्र है। यदि इसकी अनुपयोगिता की ओर ध्यान दें तो हमें इससे होने वाली हानियों का भी पता चलता है। कुछ लोगों का मत है कि इसको अधिक देखने से विवेक के नष्ट होने तथा बुद्धि के कुंठित होने का भय रहता है। बच्चे इसे देखने में अपनी पढ़ाई-लिखाई को भूल जाते हैं और आँखों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। आज जिस तरह के कार्यक्रम दूरदर्शन पर दिखाए जा रहे हैं, उनसे युवा पीढ़ी के पथ-भ्रष्ट होने का एक नया साधन जुट गया है। सरकार को चाहिए कि ऐसे प्रसारणों पर रोक लगाए तथा दूरदर्शन पर मात्र शिक्षाप्रद तथा मनोरंजन से भरे कार्यक्रम ही प्रस्तुत करे।