अनुच्छेद लेखन : दीपावली
दीपावली
दीपों का त्यौहार दीपावली हमारे देश भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अंधकार पर प्रकाश की विजय के प्रतीक इस पावन पर्व को कुछ लोग ऋतु परिवर्तन का त्यौहार मानते हैं, जबकि अधिकांश भारतवासी भगवान श्रीराम के आतातायी रावण का अंत कर देवताओं, तपस्वियों और जन-साधारण के लिए हर्ष का प्रकाश लेकर लौटने पर आज भी दीपक – मोमबत्तियाँ जलाकर और फूलझड़ियाँ-पटाखे आदि चलाकर खुशियाँ मनाते हैं। यदि दीपावली को ऋतु-परिवर्तन संबंधी त्यौहार मानें, तब भी यह बड़ा महत्त्वपूर्ण है। इससे पूर्व पावस ऋतु के कारण चारों ओर कीचड़ गंदगी, मक्खी-मच्छर, कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप रहा करता है। पावस ऋतु बीत जाने पर दीपावली के आगमन से पूर्व ही घर-बार सफ़ाई, रंगाई-पुताई करके सारे वातावरण को स्वच्छ बना दिया जाता है। शरद ऋतु होने के कारण प्राकृतिक वातावरण भी नया एवं ताजा होकर उजाले का संदेश देने लगता है। इस प्रकार हर दृष्टि से दीपावली को अंधकार पर उजाले की विजय का शुभ पर्व उचित ही माना जाता है। इस पावन पर्व पर व्यापारी वर्ग तो लक्ष्मी-पूजन कर नए खाते आरंभ करते ही हैं, घर-घर में भी लक्ष्मी पूजन कर, मिठाई खा-खिलाकर उत्साहपूर्वक नववर्ष का आरंभ किया जाता है। फूलझड़ियों – पटाखों के चलने के रूप में हम सभी के मन का उल्लास और उत्साह फूट पड़ा करता है। इस पावन पर्व के साथ जुड़ी बुराइयाँ त्यागकर हमें इसे पवित्रता के साथ मनाना चाहिए।