CBSEclass 7 Hindi (हिंदी)EducationHindi GrammarNCERT class 10thPunjab School Education Board(PSEB)अनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

अनुच्छेद लेखन : कमरतोड़ महँगाई


कमरतोड़ महँगाई


महँगाई मूल्यों में निरंतर वृद्धि, उत्पादन की कमी और माँग की पूर्ति में असमर्थता की परिचायक है। जीवनयापन के लिए अनिवार्य तत्वों (रोटी, कपड़ा और मकान) की बढ़ती हुई महँगाई गरीब जनता के पेट पर ईंट बाँधती है, मध्यवर्ग की आवश्यकताओं में कटौती करती है, तो धनिक वर्ग के लिए आय के स्रोत उत्पन्न करती है। बढ़ती हुई महँगाई भारत सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता है। प्रकृति के रोष और प्रकोप का फल नहीं, शासकों की बदनीयती और बदइंतजामी की मुँह बोलती तस्वीर है। काला धन, तस्करी और जमाख़ोरी महँगाई वृद्धि के परम मित्र हैं। तीनों से सरकार और पार्टियाँ खूब चंदा लेती हैं। तस्कर खुलेआम व्यापार करता है। काला धन जीवन का अनिवार्य अंग बन चुका है, उसके बिना दफ्तर की फाइल नहीं खुलती। जमाख़ोरी पुलिस और अधिकारियों की मिली भगत का कुफल है। इतना ही नहीं, सरकार हर माह किसी-न-किसी वस्तु का मूल्य बढ़ा देती है, जब कीमतें बढ़ती हैं तो आगा-पीछा नहीं सोचती। जहाँ उत्पादन न बढ़ने के लिए अयोग्य अधिकारी दोषी हैं, वहाँ कर्मचारी आंदोलन, हड़ताल एवं वेतनवृद्धि के कारण घाटा बढ़ता है, महँगाई बढ़ती है। करोड़ों रुपये लगाकर हम उपग्रह बना रहे हैं, वैज्ञानिक प्रगति में विश्व के महान राष्ट्रों की गिनती में आना चाहते हैं, किंतु गरीब भारत का जन भूखा और नंगा है। आज भारत की जनता महँगाई की चक्की में और पिसती जा रही है। महँगाई की खाई भरने के चार उपाय हैं-

1. कर चोरी को रोकना

2. राष्ट्रीयकृत उद्योगों के प्रबंध तथा संचालन में तीव्र कुशलता

3. सरकारी खर्चों में योजनाबद्ध रूप में कमी का आह्वान

4. माँग के अनुसार उत्पादन का प्रयत्न।