अनुच्छेद लेखन : आधुनिक जीवन
आधुनिक जीवन
आधुनिक व्यक्ति प्रवासी है, जो परिवर्तनमय समाज में रहता है और विरोधी परंपरा को ग्रहण करता है। आधुनिक जीवन समस्त सुख-सुविधाओं से युक्त जीवन है, परंतु इसे भोगने के लिए मानव के पास न तो समय है और न ही उसका स्वास्थ्य इसके लिए अनुमति देता है। आज की शहरी कार्यशैली में पीठ दर्द, मोटापा, अधकपारी, तनाव, अवसाद आदि बीमारियाँ तेजी से घर करती जा रही हैं। लगातार ऐसे युवाओं की तादाद बढ़ रही है जो इस तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। विभिन्न युगों में रूढ़िवादी और आधुनिक दोनों प्रवृत्तियों के विकास का यह कारण है कि मनुष्य अलग-अलग सामाजिक दायरों में सोचता व कार्य करता है। आधुनिक जीवन शैली में जंक फूड, विद्यालय की पढ़ाई के बोझ और बड़े स्तर पर बाजारीकरण की चपेट में आकर बच्चों के बचपन की रचनात्मकता खोती जा रही है। किशोर और युवाओं में बढ़ रही हिंसा की प्रवृत्ति के लिए इसी मानसिक दशा को दोषी ठहराया है। व्यक्ति किसी भी कीमत पर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में अपने समय के साथ-साथ शारीरिक क्षमता का भी ध्यान न रखते हुए लगातार प्रयास करता चला जाता है जिसका परिणाम शारीरिक और मानसिक रूप से तनाव व क्षति होती है जो सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। कॉल सेंटर और इंटरनेट के बाद सोशल मीडिया ने भी जीवन-शैली को बदलकर रख दिया है। अब देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना और इसके बाद काम पर चले जाना ही जीवन हो गया है। बच्चों को जंक फूड न देकर पौष्टिक व संतुलित भोजन देना चाहिए जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहे। मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट इत्यादि बच्चों को कम से कम चलाने दें जिससे उसका मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य ठीक बना रहे।