अनुच्छेद लेखन : अध्ययन का आनंद
अध्ययन का आनंद
मनुष्य को ईश्वर ने सोचने-समझने की शक्ति दी है। उसका सही उपयोग करने के लिए अध्ययन एक सही और श्रेष्ठ साधन है। मानव जीवन को सही प्रकार से जीने के लिए अध्ययन आवश्यक है। अध्ययन द्वारा अल्पकाल में ही दिमाग को उन्नत, विकसित और अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है। पुराने ज़माने की पढ़ाई और आज की पढ़ाई में काफी अंतर है। पुराने ज़माने की पढ़ाई में शस्त्रविद्या और शास्त्रविद्या आश्रम में रहकर गुरु की सेवा करके प्राप्त की जाती थी। एक तरह से गुरु के आदेशों का पालन करना ही पढ़ाई थी, परंतु इस ज़माने की पढ़ाई तो बहुत ही अधिक कठिन है। अधिकांश छात्रों के लिए पढ़ना एक समस्या है। बहुत से छात्रों के लिए तो वह सज़ा से कम नहीं है। सज़ा नहीं भी समझें तो तपस्या तो वे इसे समझते ही हैं। उनके लिए पढ़ाई ऐसे ही है जैसे गरमी में आग तापना पड़े और जाड़े में बर्फ का पानी पीना पड़े। लेकिन आज भी कुछ छात्र ऐसे हैं जो यह सोचते हैं कि पढ़ने से ही हमारा जीवन बन सकता है। बिना पढ़े न अच्छी नौकरी मिलेगी, न समाज में सम्मान। कुछ विद्यार्थियों की पढ़ाई में अरुचि होती है। पढ़ाई में अरुचि के कई कारण हो सकते हैं। विद्यार्थियों को जो कुछ पढ़ना पड़ता है उसे वे पहले ही से भारी मानकर चलते हैं। विद्यार्थियों को ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्हें अपनी मानसिक अवस्था को अध्ययन के अनुकूल बनाना चाहिए। रुचि पैदा हो जाने पर अध्ययन एक आनंददायी अनुभव बन जाता है।