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अधिक मास का महत्व एवं भगवान नृसिंह का अवतार

अधिक मास का इतिहास कहता है कि भगवान ने इस मास की रचना खासतौर पर हिरण्यकशिपु के वरदान को पूरा करने के लिए की थी।

उसने वरदान मांगा था कि वह 12 महीनों में से किसी महीने में मारा न जा सके। उसने वरदान मांगा था कि वह न दिन में मरे न रात में मरे।

उसके उद्धार के लिए भगवान नृसिंह का अवतार इसी माह में हुआ था, जिसे बारह मास में नहीं गिना जा सकता।

इस मास में ‘ॐ भगवते वासुदेवाय’ द्वादश अक्षर मंत्र का जाप किया जाता है, क्योंकि भक्त प्रह्लाद ने इसी मंत्र का जाप करके भगवान नृसिंह को अवतार रूप में पाया था।

तब वैशाख मास अधिक मास था।