अट नहीं रही है


प्रश्न.’अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फाल्गुन में उमड़े प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर : फाल्गुन मास में चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य और उल्लास दिखाई पड़ता है। सरसों के पीले फूलों की चादर बिछ जाती है। लताएँ और डालियाँ रंग-बिरंगे फूलों से सज जाती हैं। पर्यावरण स्वयं प्रफुल्लित हो उठता है।

अथवा

उत्तर : फाल्गुन मास में प्राकृतिक सौन्दर्य का चरमोत्कर्ष देखा जा सकता है। यह मास वसंत ऋतु का स्वागत मास होता है। वृक्षों की डालियों पर हरे पत्तों और लाल कोंपलों के मध्य सुगन्धित रंग-बिरंगे पुष्पों की शोभा ऐसी प्रतीत होती है जैसे वृक्षों के गले में सुगन्धित पुष्पों की मालाएँ पड़ी हों। सर्वत्र उल्लास, उत्साह और प्रफुल्लता का वातावरण छा जाता है। मानव मन पर भी इस सौन्दर्य का व्यापक प्रभाव पड़ता है और फाल्गुन मास के सौन्दर्य से अभिभूत हो उसे अपलक निहारने का मन करता है।