हिंदी में कविता – सूरज
सूरज
सूरज रोज कहां जाता है,
बड़े सवेरे फिर आता है।
मां बोली सुन मंजू बेटी,
धरती है सूरज की बेटी।
सूरज कहीं नहीं जाता है,
अपनी जगह खड़ा रहता है।
पृथ्वी इसके गिर्द घूमती,
किरणें इसके चरण चूमती।
सूरज नील गगन का राजा,
खिली धूप खोलो दरवाजा।