हिंदी कविता – सवेरा
सवेरा
जागो मुन्ना हुआ सवेरा,
नहीं रहा अब कहीं अंधेरा।
नीले नभ में लाली छाई,
किरणें तुम्हें जगाने आई।
उषा सुनहरे बाल बिखेरे,
लगा चुकी सूरज के फेरे।
उठो लाल अब हुआ सवेरा,
चिड़िया ने तज दिया बसेरा।
जागो मुन्ना हुआ सवेरा,
नहीं रहा अब कहीं अंधेरा।
नीले नभ में लाली छाई,
किरणें तुम्हें जगाने आई।
उषा सुनहरे बाल बिखेरे,
लगा चुकी सूरज के फेरे।
उठो लाल अब हुआ सवेरा,
चिड़िया ने तज दिया बसेरा।