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सबसे बड़े दुःख हम ही स्वयं को देते हैं।


• गलती हर आदमी करता है, लेकिन एक अच्छा आदमी अपनी गलतियों को मान लेता है और उसे सुधारने की लगातार कोशिश करता है।

घमंड किसी अपराध से कम नहीं होता।

यदि हम हमेशा एक दूसरे की ईमानदारी से मदद करते रहेंगे तो किसी को भाग्य देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

धोखे से सफल होने से कहीं बेहतर होता है सम्मान के साथ असफल हो जाना।

• जहां बुद्धिमानी होगी वहां शब्द भी कम होंगे। बुद्धिमान लोगों की निशानी है कि वो बहुत कम शब्दों में अपनी बात रखते हैं।

सबसे बड़े दुख वो होते हैं, जो हम अनजाने में स्वयं को ही देते रहते हैं।

• केवल एक ही शब्द है जो हमें जीवन के हर सुख-दुख से मुक्त कर देता है और वो शब्द है प्रेम

दयालुता से ही दयालुता पैदा हो सकती है।

यदि शरीर को गुलाम समझते हैं, तो भी दिमाग तो स्वतंत्र ही है।

सोफोक्लीज