प्रश्न – लेखक को स्कूल जाने के नाम से उदासी क्यों आती थी ? ‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। आपको स्कूल जाना कैसा लगता है और क्यों ?
उत्तर – ‘सपनों के से दिन’ पाठ में लेखक को स्कूल जाने के नाम पर उदासी आ जाती थी। इस उदासी के अनेक कारण थे। उस समय के अभिभावक अपने बच्चों को अधिक पढ़ाना नहीं चाहते थे।
लेखक के अधिकतर मित्र स्कूल न जाकर खेल कूद में समय बिताया करते थे। यह देखकर लेखक का भी मन खेलने के लिए ललचाया करता था।
अन्य कारणों में गृह कार्य की अधिकता और टीचरों से मार खाने का भय भी लेखक को स्कूल नहीं जाने के लिए प्रेरित करता था। लेखक के पिता नई श्रेणी के लिए नई पुस्तक न देकर हेडमास्टर जी द्वारा दी गई पुरानी पुस्तकों से पढ़ने के लिए कहा करते थे।
स्कूल जाने के प्रति अरुचि पैदा करने में यह भी एक मुख्य कारण था। इन सबके विपरीत मुझे स्कूल जाना अच्छा लगता है।
इसका सबसे बड़ा कारण आजकल के पाठ्यक्रम में खेल – कूद का समावेश होना है। अब स्कूलों में केवल पढ़ने की ही बात ही नहीं अपितु खेल कूद को भी समान महत्व दिया जाता है।