बड़े भाई की ओर से छोटे भाई को पत्र, यह समझाते हुए कि फैशन में रुचि न लेकर पढ़ाई की ओर ध्यान दे।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 25 मार्च, 20XX
प्रिय अर्जुन
शुभाशीष
माताजी के नाम लिखा हुआ तुम्हारा पत्र आज ही प्राप्त हुआ, जिसमें तुमने अपने लिए कुछ अधिक रुपयों की माँग की है। इतने अधिक रुपये की माँग ने माताजी, पिताजी और साथ ही मुझे भी चिंता में डाल दिया है। इस संदर्भ में तुम्हें पत्र लिखने की ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी गई है। मैं जानता हूँ कि तुमने ये रुपये क्यों मँगवाए हैं? तुम्हारे मित्र से मुझे यह पता लग चुका है कि आजकल तुम फैशन की दौड़ में शामिल हो गए हो। दूसरों की देखा-देखी तुम भी नए फैशन के जूते और कपड़े खरीदना चाह रहे हो, लेकिन यह हम जैसे साधारण परिवार के लोगों के बस की बात नहीं है। वैसे भी फैशन तो एक हवा का झोंका मात्र है, हर पल बदलता रहता है। यदि तुम इसकी तरफ़ अपना ध्यान लगाओगे तो निश्चित ही अपने मार्ग से विचलित हो जाओगे। जीवन की यह तड़क-भड़क तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी। पथ-भ्रष्ट होकर तुम अपनी मंज़िल तक कभी नहीं पहुँच पाओगे। यह ध्यान रहे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ ही जीवन का ध्येय होना चाहिए। इस पर चलकर ही तुम सफलता के सोपान पर पहुँच पाओगे। परिवार वालों की उम्मीदें तुम पर ही लगी हुई हैं। वे समझते हैं कि तुम ही इस घर की आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाओगे। हर वर्ष प्रथम आने वाले तुम, यदि भटक गए तो इस परिवार का क्या होगा?
मैं चाहता हूँ कि तुम समय रहते ही सँभल जाओ। इस फ़िजूलखर्ची को छोड़कर अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान दो और अपने व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने का प्रयत्न करो।
माताजी और पिताजी की तरफ़ से शुभाशीर्वाद। पत्र का उत्तर शीघ्र देने का प्रयत्न करना।
तुम्हारा भाई
अ०ब०स०