लेख : देश भक्ति / देश प्रेम


देशभक्ति या देश प्रेम की भावना एक पवित्र भावना है। कोई देश से कितना भी दूर क्यों न हो, देश की तस्वीरें देखकर, देश के बारे में कुछ जानने से, देश से आए व्यक्ति से मिलने से उसके मन में देश के प्रति प्रेम जाग्रत हो जाता है। इंसान चाहे कहीं भी जाए, लेकिन उसे अपनी मिट्टी से जो लगाव होता है, वह किसी और जगह से नहीं हो सकता।

ऐसे कई लोग हैं जो मृत्यु के बाद अपने वतन में अंतिम संस्कार करना चाहते हैं। प्रो. पूरन सिंह का विचार है कि देशभक्ति की भावना देश प्यार या देशभक्ति की किताबें पढ़ने, भाषण सुनने या देशभक्ति के गीत गाने से नहीं आती है। यह कड़ी मेहनत से आती है और जाने में उतना ही समय लेती है।

देश से प्यार करने वाले देश के लिए अपना सब कुछ दे देते हैं। इसका एक उदाहरण गुरु गोबिंद सिंह जी, शिवा जी, भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी आदि के जीवन में मिलता है। देशभक्त दूसरों पर देश को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे लोग स्वार्थी नहीं होते बल्कि सच्चे अर्थों में देशभक्त होते हैं।

वह न केवल अपने क्षेत्र या अपने प्रांत से, बल्कि पूरे देश से, देश के हर हिस्से से प्यार करते हैं। देश से प्यार करने वाले गरीबी, भूख और दुख के दिनों को काट लेते हैं, लेकिन दुश्मन द्वारा दिए गए बड़े लालच को स्वीकार नहीं करते हैं। महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर की तरह, आइए हम भी परम पिता परमेश्वर से एकमात्र चीज़ मांगें, और वह है देश की भलाई।