युवा दिवस (12 जनवरी)
खुद को कमजोर समझना पाप है…. जिसे शून्य कहा गया है वही शुरुआत है, वही अनंत है।
दुनिया में जो है, उस सब की शुरुआत शून्य है। शून्य नीलमणि में विस्फोट से कोटि ब्रह्मांड बने। सभी शून्य की लय पर है, उसी में समा जाते हैं।
औपचारिक शिक्षा की शून्यता पर कहा – जो शिक्षा संघर्ष के लिए तैयार नहीं करती, चरित्र निर्माण नहीं करती, सेवा भावना नहीं जगाती, साहस नहीं देती…… ऐसी शिक्षा से क्या लाभ?
नकारात्मकता की शून्यता पर कहा – जैसा सोचते हो, वैसा ही बनोगे। रुचि को महत्व दो। योग्यता को बढ़ाओ। खुद को अंदर बाहर से सुधारो। खुद को खोल दो। शून्य (अनंत) हो जाओ।
स्वामी विवेकानंद जी