मेरी कल्पना का आदर्श समाज – सार


मेरी कल्पना का आदर्श समाज – बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर


जातिगत भेदभावों को दूर करना व समाज में समानता लाना


मेरी कल्पना का आदर्श समाज – बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर (सारांश)


अम्बेडकर जी ने जाति प्रथा के स्थान पर कार्यकुशलता को श्रम विभाजन के लिए आधार माना, क्योंकि जाति के आधार पर जीवनभर किसी को पेशा न बदलने देना गलत है। इससे मनुष्य की कार्यक्षमता घटती व बेरोजगारी बढ़ती है। मनुष्य की रुचि, क्षमता, योग्यता के आधार पर कार्य करने की आजादी मिलनी चाहिए।

आंबेडकर जी स्वतंत्रता, समता व भ्रातृता भाव पर आधारित समाज की कल्पना करते हैं। वे एक गतिशील समाज चाहते हैं जिसमें परिवर्तन हो तो वह समाज के प्रत्येक कोने में पहुँचे। वह बहुविधि हित की बात करते हैं। जाति प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को समाज से उखाड़ना चाहते हैं। ये असमान व्यवहार के खिलाफ़ हैं।