आत्मा के रहने का स्थान हमारी भृकुटि के मध्य में है।
यहां से हमारी सोच चलती है, संकल्प चलते हैं और भावनाएं होती हैं।
वो शब्दों में आता है, फिर व्यवहार में आता है।
एक आपकी परिस्थिति होती है और एक आपके मन की स्थिति होती है।
परिस्थिति का मन की स्थिति पर असर नहीं होता, बल्कि मन की स्थिति का परिस्थिति पर असर पड़ता है।
इसलिए संकल्प से सृष्टि बनती है।
इस बात को हमेशा याद रखें कि सृष्टि से संकल्प नहीं बनते।
मतलब परिस्थिति से सोच नहीं बनती, सोच से परिस्थिति बनती है।ब्रह्म कुमारी शिवानी