प्रश्न – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर – तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचारों से सहमत हैं ?
उत्तर – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने शिक्षा की रटंत प्रणाली पर तीखा व्यंग्य किया है।
कहानी का बड़ा भाई एक बेचारा दीन पात्र है जो पाठ्यक्रम के एक – एक शब्द को तोते की तरह रटता रहता है। वह किसी भी शब्द को दिमाग तक नहीं पहुंचने देता।
वह न तो विषय को समझता है, न समझे हुए विषय को अपनी भाषा में कहना जानता है। इस कारण वह चौबीसों घंटे पढ़ते – पढ़ते निस्तेज हो जाता है, फिर भी परीक्षा में पास नहीं हो पाता।
पूरी शिक्षा व्यवस्था पुस्तकीय ज्ञान पर आधारित है। बच्चे पुस्तकीय ज्ञान के बोझ से दबे रहते हैं। हम उनके विचारों से पूरी तरह सहमत हैं। रटने मात्र से विद्या की प्राप्ति संभव नहीं है।
इसके लिए समझ का होना बहुत ही आवश्यक है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बड़ा भाई स्वयं है जो हर कक्षा में दो – दो साल के लिए ठहरते हैं।