पूर्णता शब्द अपने अंदर कई अर्थ समेटे हुए हैं।
पूर्णता को अंग्रेज़ी भाषा में perfection कहते हैं।
भगवान के अलावा कोई पूर्ण नहीं हो सकता।
एक दिन मैं और मेरा बेटा बात कर रहे थे, मैं उसे कह रही थी कि हमें रूके हुए पानी की तरह नहीं, बल्कि बहते हुए पानी की तरह होना चाहिए। एक जगह रूका हुआ पानी बदबू, मच्छर और काई को न्योता देता है।
उसने मुझे जवाब दिया कि मैं उस पानी की तरह रूकने के लिए नहीं, बल्कि उस पानी की तरह रुकने के लिए कह रहा हूँ, जो आप मुझे बोतल में भरकर स्कूल के लिए देते हो। वह पानी उसमें ठण्डा और बिना बदबू के रहता है क्योंकि वह एक अच्छी क्वालिटी की बोतल के अंदर रहता है।
परन्तु उस बोतल को भी अगले दिन दोबारा इस्तेमाल करने के लिए धोना पड़ता है, नहीं तो बदबू आने लगेगी। इसी तरह अब यह हमें देखना है कि हम अपनी आत्मा के लिए कौन सी क्वालिटी का कवर बनते हैं अच्छा या बुरा।
मैने जो अर्थ समझा इस बात से वो यह कि हम सब चाहते हैं कि ज़िन्दगी में सब कुछ perfect हो। परन्तु यह परफेक्शन है क्या? जब हम ईमानदारी से विचार करें तो क्या हम कोई एक चीज़ बता सकते हैं जो perfect हो। हम सिर्फ अपने सामर्थ्य के हिसाब से अपना काम कर सकते हैंं, पूरी निष्ठा, ईमानदारी और अनुशासन के साथ।
जब हम अपने बच्चों को वे जैसे हैंं, वैसे ही स्वीकार करते हैं। बस उनमें कुछ न कुछ सुधार करते रहते हैं यह सोचकर कि हम उनके भले के लिए ही कर रहे हैं।
ऐसे ही ज़िन्दगी को भी अपूर्णताओं के साथ स्वीकार करते हुए इस सफर को उस पूर्णता से भरपूर परमात्मा के चरणों में अर्पित करना है।
“Life can never be perfect because there is always a scope for improvement”.