पीढ़ियों के बीच अन्तराल को दर्शाती : मनोहर श्याम जोशी (लेखक)
सिल्वर वेडिंग : सारांश
कहानी के नायक यशोधर बाबू एक संस्कारी व्यक्ति हैं, लेकिन आधुनिक विचारधारा वाले लोग उनसे सहमत नहीं रहते। वे समय पर ऑफिस आते-जाते हैं। ऑफिस में नए लड़के चड्ढा द्वारा बदतमीजी किए जाने को वे अनदेखा करते हैं। वे किशन दा से बहुत प्रभावित हैं व उन्हें अपना गुरु मानते हैं। किशनदा ने ही उन्हें दफ्तर में नौकरी दिलवाई। किशनदा अविवाहित थे। यशोधर बाबू सदैव उनके सिद्धान्तों पर चलते रहे। यशोधर बाबू के तीन बेटे व एक बेटी है। सबसे बड़ा बेटा भूषण विज्ञापन एजेंसी में ₹ 500 प्रति माह कमाता है। उनके चारों बच्चे और पत्नी आधुनिक विचारों के हैं जिसके कारण यशोधर बाबू से उनका मतभेद चलता रहता है। लेकिन फिर भी यशोधर बाबू को बच्चों की तरक्की पसन्द है। बच्चे यशोधर बाबू की शादी की पच्चीसवीं सालगिरह पर पार्टी देते हैं। यशोधर बाबू न चाहते हुए भी पत्नी के साथ केक काटते हैं। बड़ा बेटा भूषण उन्हें ऊनी गाऊन उपहार में देते हुए कहता है कि इसे पहनकर ही सवेरे दूध लेने जाया करें। यशोधर बाबू की आँखों में आँसू आ गए। गाउन पहनकर उन्हें लगा कि उनके अंगों में किशनदा उतर आए हैं।