CBSEComprehension PassageEducationPunjab School Education Board(PSEB)काव्यांश (Kavyansh)

पद्यांश / काव्याँश


दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उत्तर लिखिए-


मैं तो साँसों का पंथी हूं

साथ आयु के चलता

मेरे साथ सभी चलते हैं

बादल भी, तूफ़ान भी

कलियाँ देखीं बहुत, फूल भी

लतिकाएँ भी तरु भी

उपवन भी, वन भी, कानन भी

घनी घाटियाँ, मरु भी

टीले भी, गिरि-श्रृंग-तुंग भी

नदियाँ भी, निर्झर भी

कल्लोलिनियाँ, कुल्याएँ भी

देखे सरि-सागर भी

इनके भीतर इनकी सी ही

प्रतिमाएँ मुस्काती

हर प्रतिमा की धड़कन में

अनगिनत कलाएँ गातीं

अनदेखी इन आत्माओं से

परिचय जनम-जनम का

मेरे साथ सभी चलते हैं

जाने भी, अनजान भी

सूर्योदय के भीतर मेरे

मन का सूर्योदय है

किरणों की लय के भीतर

मेरा आश्वस्त हृदय है

मैं न सोचता कभी कौन

आराध्य, किसे आराधूं

किसे छोड़ दूँ और किसे

अपने जीवन में बाँधू

दृग की खिड़की खुली हुई।

प्रिय मेरा झाँकेगा ही

मानस-पट तैयार,

चित्र अपना वह आँकेगा ही

अपनों को मैं देख रहा हूँ

अपने लघु दर्पण में

मेरे साथ सभी चलते हैं

प्रतिबिंबन, प्रतिमान भी

दूर्वा की छाती पर जितने

चरण-चिह्न अंकित हैं

उतने ही आँसू मेरे

सादर उसको अर्पित हैं

जितनी बार गगन को छूते

उन्नत शिखर अचल के

उतनी बार हृदय मेरा

पथ में एकाकीपन मिलता

वही गीत है हिय का

पथ में सूनापन मिलता है

वही पत्र है प्रिय का

दोनों को पढ़ता हूँ मैं

दोनों को हृदय लगाता

दोनों का सौरभ-कण लेकर

फिर आगे बढ़ जाता

मेरा रक्त, त्वचा यह मेरी

और अस्थियाँ बोलें

मेरे साथ सभी चलते हैं

आदि और अवसान भी।

(केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’)


प्रश्न. साँसों का मुसाफ़िर किसे कहा गया है ?

प्रश्न. अपनों को मैं देख रहा हूँ, अपने लघु दर्पण में – पंक्ति में लघु दर्पण किसे कहा गया है?

प्रश्न. मन का सूर्योदय से आप क्या समझते हैं?