पद्यांश / काव्याँश
जलाओ दिये (दिए) पर रहे ध्यान इतना : गोपालदास ‘नीरज’
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी
चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,
भले ही दिवाली यहाँ रोज़ आए।
जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
(क) दिये जलाते समय क्या ध्यान रखने को क्या गया है?
(ख) मनुजता कब तक पूरी नहीं होगी?
(ग) कविता के रचनाकार का नाम लिखिए।