पत्र लेखन : मित्र को पत्र
आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
कालिदास मार्ग,
नई दिल्ली-18,
दिनांक 6 जून 20………..
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार।
आशा है तुम्हारे परिवार में सब सकुशल होंगे। मन में शिमला और तुम्हारी असंख्य स्मृतियाँ संजोकर मैं कल प्रातः यहाँ पहुँचा। मित्र, मैं तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ। इस पर्वतीय शिमला यात्रा से मैं इतना अभिभूत हुआ हूँ कि उस अनुभूति को शब्दों में व्यक्त करना असंभव सा लग रहा है।
मित्र तुम्हारा शहर देवदार, चीड़ और सेब के जंगलों से घिरा हुआ है तुम्हारे साथ इसके प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना मेरे लिए अविस्मरणीय पल थे। चारों ओर हरी-भरी मखमली चादर ओढ़े फूलों की खुशबू तथा पेड़ों के अप्रतिम सौंदर्य से ओत-प्रोत प्रकृति का अनुपम खजाना शिमला, सचमुच पर्वतीय क्षेत्रों की धड़कन है। वहाँ के पहाड़ों को देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई ऋषि दीर्घकाल से ध्यानस्थ अवस्था में बैठा है। मित्र, ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, कल-कल करते झरने देखकर हमारा मन कितना रोमांचित था। घुमावदार सड़कें, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, अद्भुत मंजर देखकर मैं बहुत हतप्रभ था।
मित्र ग्रीष्मावकाश में तुम्हारे साथ बिताया यह समय शायद मैं कभी भूल नहीं सकता। झुलसाती गर्मी से दूर, तुम्हारे साथ शिमला के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना मेरे लिए सुखद होने के साथ शिक्षाप्रद भी रहा।
चाचा जी को मेरा सादर नमस्ते कहना। रिंकू को प्यार
तुम्हारा मित्र,
संतोष ।