पत्र लेखन : अपने निराश मित्र को पत्र


छात्रावास में अस्वस्थ अपने निराश मित्र को पत्र लिखकर आने वाली परीक्षा की पढ़ाई के लिए मनोबल बढ़ाएँ।


बी 26/ 21 महावीर नगर
नई दिल्ली
10 जनवरी, 20XX

प्रिय मित्र मयंक
सप्रेम नमस्ते

कल तुम्हारे पिताजी से पता चला कि तुम्हारी तबियत कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही है। आने वाली परीक्षा को लेकर तुम बहुत चिंतित हो। निराशा ने तुम्हें घेर लिया है। अब परीक्षा को केवल थोड़ा ही समय रह गया है। अत: तुम और भी अधिक अधीर हो गए होंगे। दसवीं की परीक्षा वैसे भी बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। लेकिन इस समय तुम्हें सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

मयंक जान है तो जहान है। मैं समझता हूँ कि तुम सबसे पहले अपना स्वास्थ्य ठीक कर लो। पढ़ाई करने के लिए शारीरिक क्षमता भी उतनी ही जरूरी है जितनी मानसिक क्षमता। एक बार अच्छे डॉक्टर से तुम्हें अपना इलाज करवाना बहुत जरूरी है। साथ ही परिवार के बीच में रहना भी। तुम्हें चार-पाँच दिन की छुट्टी लेकर घर आना होगा। अच्छे डॉक्टर का इलाज और माता-पिता, भाई का प्यार तुम्हें शारीरिक रूप से ही केवल स्वस्थ नहीं कर देगा, बल्कि मानसिक रूप से भी तुम स्वस्थ हो जाओगे।

देखो, अपने इस मित्र के रहते तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है। परीक्षाएँ अभी दूर हैं; तैयारी का पर्याप्त समय तुम्हारे पास है। वैसे भी तुम पूरे साल नियम से पढ़ते रहे हो, इसलिए कुछ दिनों के लिए आए व्यवधान से कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझसे जो बन पड़ेगा, मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूँगा। वैसे भी हम सबको तुम्हारी प्रतिभा व योग्यता पर पूरा भरोसा है। हम सबकी शुभकामनाएँ, माताजी व पिताजी की दुआएँ तुम्हारे साथ हैं, फिर चिंता किस बात की? तुम्हें इस बार भी शानदार सफलता मिलेगी। अच्छा मित्र, घर पहुँचते ही मुझे जानकारी देना। मैं तुम्हें तुरंत ही मिलने आऊँगा।

तुम्हारा शुभचिंतक

राजीव